"सिंधु बचन सुनि राम": अवतरणों में अंतर

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समुद्र के वचन सुनकर प्रभु [[राम]] ने मंत्रियों को बुलाकर ऐसा कहा- "अब विलंब किसलिए हो रहा है? सेतु (पुल) तैयार करो, जिससे सेना उतरे।"
समुद्र के वचन सुनकर प्रभु [[राम]] ने मंत्रियों को बुलाकर ऐसा कहा- "अब विलम्ब किसलिए हो रहा है? सेतु (पुल) तैयार करो, जिससे सेना उतरे।"





09:04, 10 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

रामचरितमानस षष्ठ सोपान (लंका काण्ड) : नल-नील द्वारा पुल बाँधना, श्री रामजी द्वारा श्री रामेश्वर की स्थापना

सिंधु बचन सुनि राम
रामचरितमानस
रामचरितमानस
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक 'रामचरितमानस'
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि।
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली दोहा, चौपाई और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड लंकाकाण्ड
सोरठा

सिंधु बचन सुनि राम सचिव बोलि प्रभु अस कहेउ।
अब बिलंबु केहि काम करहु सेतु उतरै कटकु॥

भावार्थ

समुद्र के वचन सुनकर प्रभु राम ने मंत्रियों को बुलाकर ऐसा कहा- "अब विलम्ब किसलिए हो रहा है? सेतु (पुल) तैयार करो, जिससे सेना उतरे।"



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सिंधु बचन सुनि राम
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सोरठा- मात्रिक छंद है और यह 'दोहा' का ठीक उल्टा होता है। इसके विषम चरणों (प्रथम और तृतीय) में 11-11 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।


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