"त्रिवेंद्र सिंह रावत": अवतरणों में अंतर

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==परिचय==
==परिचय==
त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्म [[20 दिसंबर]], [[1960]] को [[उत्तराखंड]] के [[पौड़ी गढ़वाल]] में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रताप सिंह और माता का नाम बोद्धा देवी है। उनके पिता प्रताप सिंह रावत गढ़वाल राइफल्स में सैनिक रहते हुए दूसरे विश्वयुद्ध में जंग लड़ चुके हैं। आठ भाई और एक बहन में त्रिवेंद्र सबसे छोटे हैं। उनके एक भाई बृजमोहन सिंह रावत खैरासैंण स्थित गांव के पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर हैं जो परिवार समेत गांव में ही रहते हैं। त्रिवेंद्र के दो बड़े भाइयों का निधन हो चुका है। त्रिवेंद्र का परिवार गांव के पैतृक घर में ही रहता है।  
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11:05, 10 मार्च 2021 के समय का अवतरण

त्रिवेंद्र सिंह रावत
त्रिवेंद्र सिंह रावत
त्रिवेंद्र सिंह रावत
पूरा नाम त्रिवेंद्र सिंह रावत
जन्म 20 दिसंबर, 1960
जन्म भूमि पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड
अभिभावक प्रताप सिंह, बोद्धा देवी
पति/पत्नी सुनीता रावत
संतान दो पुत्रियाँ
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनेता
पार्टी भारतीय जनता पार्टी
पद पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तराखंड
कार्य काल 18 मार्च, 2017 से 9 मार्च, 2021 तक
शिक्षा स्नातक
विद्यालय राजकीय महाविद्यालय जयहरीखाल
पूर्वाधिकारी हरीश रावत
उत्तराधिकारी तीरथ सिंह रावत
अन्य जानकारी त्रिवेंद्र सिंह रावत के पिता प्रताप सिंह रावत सेना की रुड़की कोर में सेवा दे चुके हैं। त्रिवेंद्र रावत का सेना से खासा लगाव है। उन्होंने कई शहीद सैनिकों की बेटियों को गोद ले रखा है।
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त्रिवेंद्र सिंह रावत (अंग्रेज़ी:Trivendra Singh Rawat; जन्म- 20 दिसंबर, 1960, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड) भारतीय राजनेता, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक और उत्तराखंड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। वह डोईवाला विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से उत्तराखंड विधानसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए थे। जिसके बाद उन्हें 18 मार्च, 2017 को उत्तराखंड के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गयी थी।

परिचय

त्रिवेंद्र सिंह रावत का जन्म 20 दिसंबर, 1960 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। उनके पिता का नाम प्रताप सिंह और माता का नाम बोद्धा देवी है। उनके पिता प्रताप सिंह रावत गढ़वाल राइफल्स में सैनिक रहते हुए दूसरे विश्वयुद्ध में जंग लड़ चुके हैं। आठ भाई और एक बहन में त्रिवेंद्र सबसे छोटे हैं। उनके एक भाई बृजमोहन सिंह रावत खैरासैंण स्थित गांव के पोस्ट ऑफिस में पोस्टमास्टर हैं जो परिवार समेत गांव में ही रहते हैं। त्रिवेंद्र के दो बड़े भाइयों का निधन हो चुका है। त्रिवेंद्र का परिवार गांव के पैतृक घर में ही रहता है।

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आठवीं तक की पढ़ाई अपने मूल गांव खैरासैंण के ही स्कूल में की। इसके बाद 10वीं की पढ़ाई सतपूली इंटर कॉलेज और फिर 12वीं इंटर कॉलेज एकेश्वर से की। त्रिवेंद्र ने स्नातक राजकीय महाविद्यालय जयहरीखाल से किया, जबकि पत्रकारिता की पढ़ाई गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर कैम्पस से की। उत्तराखंड स्थित गढ़वाल यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी के छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़ गए थे। उनके साथी बताते हैं कि उस वक्त से ही वह संघ प्रचारकों के चहेते थे।[1]

विवाह

त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ रहे एक संघ प्रचारक ने बताया कि जब बाबरी मस्जिद गिरी थी तब उसके बाद उत्तर प्रदेश में तनाव का माहौल था और कर्फ्यू लगा हुआ था। ऐसे माहौल में वह रावत की शादी में शामिल होने गए थे। कर्फ्यू के दौरान ही दिसंबर 1992 को उनकी शादी हुई। उनकी पत्नी सुनीता रावत टीचर हैं और उनकी दो बेटियां भी हैं।[1]

राजनीतिक कॅरियर

त्रिवेंद्र सिंह रावत को 1993 में संघ की ओर से भारतीय जनता पार्टी में संगठन मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। उत्तराखंड आंदोलन में भी त्रिवेंद्र की अहम भूमिका रही। वह कई बार गिरफ्तार हुए और जेल भी गए। 1997 से 2002 तक वह प्रदेश संगठन मंत्री रहे। संगठन मंत्री का पद संघ के किसी ऐसे व्यक्ति को ही दिया जाता है, जिसका काम बीजेपी और संघ के बीच समन्वय बनाना होता है। रावत ने कुछ समय तक उत्तर प्रदेश में लालजी टंडन के ओएसडी के रूप में भी काम किया। उत्तराखंड बनने के बाद 2002 में रावत पहली बार डोईवाला सीट से विधायक चुने गए थे। 2007 में डोईवाला से दोबारा रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की और कृषि मंत्री बने। इस दौरान बीजेपी ने विधानसभा, लोकसभा और विधान परिषद चुनावों में बड़ी सफलताएं हासिल कीं। 2012 में उन्होंने राज्य की रायपुर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए। 2013 में पार्टी ने त्रिवेंद्र रावत को राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी। 2014 में डोईवाला के उपचुनाव में उन्हें हार मिली, जबकि 2017 में हुए चुनाव में वह डोईवाला से जीत गए, जिसके बाद उन्हें उत्तराखण्ड का आठवाँ मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया था।[1]

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक

त्रिवेंद्र सिंह रावत करीब 14 साल तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे। 20 दिसंबर 1960 को पौड़ी गढ़वाल के जहरीखाल ब्लाक के खैरासैंण गांव में फौजी परिवार में जन्मे रावत 19 साल की उम्र में संघ से जुड़ गए थे। इसके बाद वह संघ की शाखाओं में नियमित रूप से जाने लगे। 1981 में संघ की विचारधारा का उन पर ऐसा असर पड़ा कि उन्होंने बतौर प्रचारक ही काम करने का फ़ैसला कर लिया। वह पढ़ाई के बाद मेरठ में तहसील प्रचारक बन गए और संघ की विचारधारा का प्रचार करने लगे। 1985 में उन्हें देहरादून महानगर का प्रचारक बनाया गया।[1]

झारखंड चुनाव में अहम भूमिका

2014 के लोकसभा चुनाव में जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे तो त्रिवेंद्र पर भरोसा करते हुए उन्हें उत्तर प्रदेश का सह-प्रभारी बनाया। इस दौरान उन्हें अमित शाह के साथ काम करने का मौका मिला। संघ के सूत्रों के मुताबिक़, रावत ने संघ प्रचारक रहने के दौरान उत्तर प्रदेश में जिस तरह घर-घर जाकर संपर्क किया था, उसी वजह से उन्हें उत्तर प्रदेश का सह-प्रभारी बनाया गया। उनके संघ के अनुभव ने ही उत्तर प्रदेश की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। शाह की वजह से ही त्रिवेंद्र रावत पीएम मोदी के करीब भी पहुंचे। अक्टूबर 2014 में उन्हें झारखंड का प्रदेश प्रभारी बनाया गया। सूत्रों के मुताबिक़, उस वक्त रावत ने टिकट बंटवारे से लेकर प्रचार तक में रणनीतिकार की भूमिका निभाई और जीत की जमीन तैयार की। इसके बाद बीजेपी ने झारखंड में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। इस कामयाबी की वजह से ही उनकी संगठन क्षमता का लोहा राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी माना।[1]

सेना से लगाव

त्रिवेंद्र सिंह रावत के पिता प्रताप सिंह रावत सेना की रुड़की कोर में सेवा दे चुके हैं। रावत का सेना से खासा लगाव है। उन्होंने कई शहीद सैनिकों की बेटियों को गोद ले रखा है। वह सेना और भूतपूर्व सैनिकों से जुड़े कार्यक्रम में जाने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं।[2]


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टीका-टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

भारतीय राज्यों में पदस्थ मुख्यमंत्री
क्रमांक राज्य मुख्यमंत्री तस्वीर पार्टी पदभार ग्रहण
1. अरुणाचल प्रदेश पेमा खांडू
भाजपा 17 जुलाई, 2016
2. असम हिमंता बिस्वा सरमा
भाजपा 10 मई, 2021
3. आंध्र प्रदेश वाई एस जगनमोहन रेड्डी
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी 30 मई, 2019
4. उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ
भाजपा 19 मार्च, 2017
5. उत्तराखण्ड पुष्कर सिंह धामी
भाजपा 4 जुलाई, 2021
6. ओडिशा नवीन पटनायक
बीजू जनता दल 5 मार्च, 2000
7. कर्नाटक सिद्धारमैया
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 20 मई, 2023
8. केरल पिनाराई विजयन
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी 25 मई, 2016
9. गुजरात भूपेन्द्र पटेल
भाजपा 12 सितम्बर, 2021
10. गोवा प्रमोद सावंत
भाजपा 19 मार्च, 2019
11. छत्तीसगढ़ विष्णु देव साय
भारतीय जनता पार्टी 13 दिसम्बर, 2023
12. जम्मू-कश्मीर रिक्त (राज्यपाल शासन) लागू नहीं 20 जून, 2018
13. झारखण्ड हेमन्त सोरेन
झारखंड मुक्ति मोर्चा 29 दिसम्बर, 2019
14. तमिल नाडु एम. के. स्टालिन
द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम 7 मई, 2021
15. त्रिपुरा माणिक साहा
भाजपा 15 मई, 2022
16. तेलंगाना अनुमुला रेवंत रेड्डी
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस 7 दिसंबर, 2023
17. दिल्ली अरविन्द केजरीवाल
आप 14 फ़रवरी, 2015
18. नागालैण्ड नेफियू रियो
एनडीपीपी 8 मार्च, 2018
19. पंजाब भगवंत मान
आम आदमी पार्टी 16 मार्च, 2022
20. पश्चिम बंगाल ममता बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस 20 मई, 2011
21. पुदुचेरी एन. रंगास्वामी
कांग्रेस 7 मई, 2021
22. बिहार नितीश कुमार
जदयू 27 जुलाई, 2017
23. मणिपुर एन. बीरेन सिंह
भाजपा 15 मार्च, 2017
24. मध्य प्रदेश मोहन यादव
भाजपा 13 दिसंबर, 2023
25. महाराष्ट्र एकनाथ शिंदे
शिव सेना 30 जून, 2022
26. मिज़ोरम लालदुहोमा
जोरम पीपल्स मूवमेंट 8 दिसम्बर, 2023
27. मेघालय कॉनराड संगमा
एनपीपी 6 मार्च, 2018
28. राजस्थान भजन लाल शर्मा
भारतीय जनता पार्टी 15 दिसम्बर, 2023
29. सिक्किम प्रेम सिंह तमांग
सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा 27 मई, 2019
30. हरियाणा नायब सिंह सैनी
भाजपा 12 मार्च, 2024
31. हिमाचल प्रदेश सुखविंदर सिंह सुक्खू
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 11 दिसम्बर, 2022