"अमावास्या": अवतरणों में अंतर

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*हर माह की अमावस्या को कोई न कोई पर्व अवश्य मनाया जाता हैं।
*हर माह की अमावस्या को कोई न कोई पर्व अवश्य मनाया जाता हैं।
*वर्षक्रियाकौमुदी (9-10) में [[महाभारत]] एवं [[पुराण|पुराणों]] से उद्धरण हैं<ref>हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग-चिन्तामणि, पृ0 311-315; 643-44), कालविवेक (343-44), तिथितत्व (163), गोभिल-गृह्य (1|5|5) का भाष्य, पुरुषार्थ-चिन्तामणि (314-345) </ref>।
*वर्षक्रियाकौमुदी (9-10) में [[महाभारत]] एवं [[पुराण|पुराणों]] से उद्धरण हैं<ref>हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग-चिन्तामणि, पृ0 311-315; 643-44), कालविवेक (343-44), तिथितत्व (163), गोभिल-गृह्य (1|5|5) का भाष्य, पुरुषार्थ-चिन्तामणि (314-345) </ref>।
*[[सोमवार]], [[मंगलवार]] या [[बृहस्पतिवार]] के दिन तथा [[अनुराधा]], [[विशाखा]] एवं [[स्वाति नक्षत्र|स्वाति नक्षत्रों]] में पड़ने वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। <ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 246-257), माधवकृत कालनिर्णय (309) एवं व्रतार्क (334-356)</ref>
*[[सोमवार]], [[मंगलवार]] या [[बृहस्पतिवार]] के दिन तथा [[अनुराधा]], [[विशाखा]] एवं [[स्वाति नक्षत्र|स्वाति नक्षत्रों]] में पड़ने वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है।<ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 246-257), माधवकृत कालनिर्णय (309) एवं व्रतार्क (334-356)</ref>
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग-चिन्तामणि, पृ0 311-315; 643-44), कालविवेक (343-44), तिथितत्व (163), गोभिल-गृह्य (1|5|5) का भाष्य, पुरुषार्थ-चिन्तामणि (314-345)
  2. हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 246-257), माधवकृत कालनिर्णय (309) एवं व्रतार्क (334-356)

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