"वजूभाई वाला": अवतरणों में अंतर
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08:16, 27 अगस्त 2021 के समय का अवतरण
वजूभाई वाला
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पूरा नाम | वजूभाई रुदाभाई वाला |
जन्म | 13 जनवरी, 1939 |
जन्म भूमि | गुजरात |
संतान | दो पुत्र, दो पुत्री |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | राज्यपाल, कर्नाटक- 1 सितम्बर, 2014 से 10 जुलाई, 2021 तक अध्यक्ष, गुजरात विधानसभा- 23 जनवरी, 2012 से 31 अगस्त, 2014 तक |
संबंधित लेख | राज्यपाल, भारत के राज्यों के वर्तमान राज्यपालों की सूची |
अन्य जानकारी | वजुभाई वाला गुजरात के सबसे लंबे समय तक रहने वाले वित्तमंत्री थे और अपने कार्यकाल में 18 बजट पेश कर चुके हैं, जो कि एक रिकॉर्ड है। |
अद्यतन | 13:46, 27 अगस्त 2021 (IST)
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वजूभाई रुदाभाई वाला (अंग्रेज़ी: Vajubhai Rudabhai Vala, जन्म- 13 जनवरी, 1939, गुजरात) जानेमाने भारतीय राजनेता और कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल हैं। राज्यपाल नियुक्त किये जाने से पूर्व वे गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष थे। वजुभाई वाला ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य के रूप में अपना कॅरियर आरम्भ किया और 1971 में जनसंघ के सदस्य बने। 1975 में आपातकाल के समय वह ग्यारह मास तक कारागार में भी रहे।
परिचय
कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला गुजरात में भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक रहे हैं। गुजरात में एक लंबे समय तक वित्त मंत्रालय के साथ अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके वजुभाई गुजरात विधानसभा के सभापति भी रह चुके हैं। राजनीति में छह दशक का समय गुज़ारने वाले वजुभाई गुजरात राज्य में भाजपा के दो बार प्रदेश अध्यक्ष (1996-1998 और 2005-2006) भी रहे हैं। वे गुजरात के सबसे लंबे समय तक रहने वाले वित्त मंत्री थे और अपने कार्यकाल में 18 बजट पेश कर चुके हैं, जो कि एक रिकॉर्ड है।[1]
राज्यपाल
कर्नाटक का राज्यपाल बनने से पहले वर्ष 2012 में वे गुजरात विधानसभा के सभापति थे। इससे पहले उनके पास वित्त मंत्रालय के अलावा राजस्व और शहरी विकास जैसे बड़े मंत्रालय थे। 2014 में उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया।
नरेंद्र मोदी के करीबी
गुजरात के प्रभावशाली नेता रहे वजुभाई वाला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क़रीबी माना जाता है। साल 2002 में जब नरेंद्र मोदी अपना पहला चुनाव लड़ने वाले थे, तब वजुभाई ने राजकोट की अपनी परंपरागत सीट मोदी को दे दी थी। उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में मोदी मणिनगर से लड़ने चले गए और वजुभाई को वापस राजकोट सीट मिल गई। कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री पद लिए गुजरात के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे रहे थे तो आनंदीबेन पटेल से पहले वजुभाई मुख्यमंत्री बनने वाले थे, लेकिन बाद में आनंदीबेन पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
राजनीतिक सफर
वजुभाई वाला ने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से की थी और 1971 में गुजरात में जनसंघ पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वे संघ से 57 साल तक जुड़े रहे हैं और आपातकाल के दौरान 11 महीने जेल में भी रहे। विधायक और मंत्री बनने से पहले वजुभाई ने अपनी राजनीतिक पारी राजकोट के मेयर के रूप में शुरू की। वे राजकोट से भाजपा के पहले मेयर थे। इतना ही नहीं सौराष्ट्र में भाजपा को मज़बूत करने में उनकी और पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की अहम भूमिका थी। सौराष्ट्र 1980 तक कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था।[1]
मेयर के बाद 1985 में वह पहली बार राजकोट पश्चिम सीट से गुजरात विधानसभा में बतौर विधायक चुनकर पहुंचे और 1990 में भाजपा और जनता दल की सरकार में पहली बार मंत्री बने। 1996 से 1998 दो साल छोड़ दिया जाए तो वजुभाई 1990 से लेकर 2012 तक मंत्री रहे हैं। दो साल वह मंत्री इस वजह से नहीं थे क्योंकि उस समय शंकरसिंह वाघेला ने भाजपा से बगावत कर कांग्रेस के साथ सरकार बना ली थी। 2012 के बाद उन्हें गुजरात विधानसभा का सभापति बना दिया गया था।
पानी वाले मेयर
वजुभाई के मेयर बनने से पहले राजकोट में पानी की बहुत समस्या थी। उन्हें यहां पानी की समस्या दूर करने के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने ट्रेन से राजकोट में पानी लाने का काम शुरू किया था। उस दौरान उन्हें पानी वाले मेयर के नाम से भी जाना जाता था।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 1.2 वजुभाई वाला: जनसंघ के जुझारू सिपाही से लेकर कर्नाटक के राज्यपाल का सफ़र (हिंदी) thewirehindi.com। अभिगमन तिथि: 8 सितंबर, 2020।