"बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | |||
'''बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Balkrishna Vithaldas Doshi'', जन्म- [[26 अगस्त]], [[1927]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध वास्तुकार हैं। उन्हें [[ब्रिटेन]] के प्रतिष्ठित पुरस्कार 'रॉयल गोल्ड मेडल' ([[2022]]) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार [[वास्तुकला]] की दुनिया में विशेष माना जाता है। [[2020]] में [[भारत सरकार]] ने बालकृष्ण दोशी को [[पद्म भूषण]] से नवाजा था। | |चित्र=Balkrishna-Doshi.jpg | ||
|चित्र का नाम=बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी | |||
|पूरा नाम=बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी | |||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[26 अगस्त]], [[1927]] | |||
|जन्म भूमि=[[पुणे]], [[भारत]] (आज़ादी पूर्व) | |||
|मृत्यु= | |||
|मृत्यु स्थान= | |||
|अभिभावक= | |||
|पति/पत्नी= | |||
|संतान= | |||
|गुरु= | |||
|कर्म भूमि=[[भारत]] | |||
|कर्म-क्षेत्र= | |||
|मुख्य रचनाएँ= | |||
|विषय= | |||
|खोज= | |||
|भाषा= | |||
|शिक्षा= | |||
|विद्यालय=के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, [[मुम्बई]] | |||
|पुरस्कार-उपाधि=[[पद्म भूषण]], [[2020]]<br/> | |||
रॉयल गोल्ड मेडल, [[2022]]<br/> | |||
[[पद्म श्री]], [[1976]] | |||
|प्रसिद्धि=वास्तुकार | |||
|विशेष योगदान= | |||
|नागरिकता=भारतीय | |||
|संबंधित लेख= | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|शीर्षक 3= | |||
|पाठ 3= | |||
|शीर्षक 4= | |||
|पाठ 4= | |||
|शीर्षक 5= | |||
|पाठ 5= | |||
|अन्य जानकारी=बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी, जिन्होंने न सिर्फ इमारतें बल्कि संस्थान भी बनाए, को ‘प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज’ से सम्मानित किया गया है। यह आर्किटेक्चर की दुनिया का [[नोबेल पुरस्कार]] माना जाता है। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन={{अद्यतन|15:01, 21 जुलाई 2022 (IST)}} | |||
}}'''बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Balkrishna Vithaldas Doshi'', जन्म- [[26 अगस्त]], [[1927]]) [[भारत]] के प्रसिद्ध वास्तुकार हैं। उन्हें [[ब्रिटेन]] के प्रतिष्ठित पुरस्कार 'रॉयल गोल्ड मेडल' ([[2022]]) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार [[वास्तुकला]] की दुनिया में विशेष माना जाता है। [[2020]] में [[भारत सरकार]] ने बालकृष्ण दोशी को [[पद्म भूषण]] से नवाजा था। | |||
==परिचय== | |||
वर्ष 1927 में [[पुणे]], महाराष्ट्र में फर्नीचर निर्माण से जुड़े [[परिवार]] में बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी का जन्म हुआ। मुंबई (वर्तमान मुम्बई) के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर के स्टूडेंट रहे दोशी ने सन [[1950]] के दशक में दिग्गज लि कॉर्ब्यूजेर कंपनी के साथ काम किया। इसके बाद वह [[भारत]] वापस आ गए। | |||
==व्यवसाय== | |||
बी. वी. दोशी ने सन [[1955]] में अपना स्टूडियो 'वास्तु-शिल्प' बनाया और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, [[अहमदाबाद]] के डिजाइनिंग कैंपस में लुई खान और अनंत राजे के साथ काम किया। इसके अलावा वह [[बेंगलुरु]], [[लखनऊ]], नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, इंस्टिट्यूट ऑफ इंडॉलजी सहित [[भारत]] के कई परिसरों में वह डिजाइनिंग के लिए गए। दोशी का [[परिवार]] फर्नीचर बनाता था। एक इंटरव्यू में खुद दोशी ने कहा था कि उन्हें आर्किटेक्चर से जुड़ी शुरुआती प्रेरणा उनके दादाजी के घर से मिली थी। | |||
==आर्किटेक्चर का नोबेल== | |||
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय हैं। पुरस्कार मिलने के बाद उन्होंने कहा था, 'मेरा काम मेरे जीवन, [[दर्शन]] और सपनों का विस्तार है। मैं यह पुरस्कार अपने गुरु लि कॉर्ब्यूजेर को समर्पित करता हूं।' | |||
दिग्गज भारतीय आर्किटेक्ट बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी, जिन्होंने न सिर्फ इमारतें बल्कि संस्थान भी बनाए, को ‘प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज’ से सम्मानित किया गया है। यह आर्किटेक्चर की दुनिया का [[नोबेल पुरस्कार]] माना जाता है। उनके नाम का ऐलान करते हुए जूरी ने कहा था, 'सालों से, बालकृष्ण दोशी ने ऐसे डिजाइन बनाए जो गंभीर हैं, कभी भड़कीले नहीं रहे और ट्रेंड से हटकर थे। जिम्मेदारी और अपने देश के निवासियों के लिए कुछ करने की चाह के साथ उन्होंने पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन और उपयोगिता वाले प्रॉजेक्ट्स, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थान, प्राइवेट क्लाइंट्स के लिए घर बनाए।' | |||
*[[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को [[ब्रिटेन]] के प्रतिष्ठित शाही स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और कहा कि "वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है। दोशी के कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।" | *[[प्रधानमंत्री]] [[नरेंद्र मोदी]] ने भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को [[ब्रिटेन]] के प्रतिष्ठित शाही स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और कहा कि "वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है। दोशी के कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।" | ||
==पद्म पुरस्कार== | |||
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी को वर्ष [[2020]] में [[भारत सरकार]] द्वारा [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया गया था। यह देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है। | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
पंक्ति 12: | पंक्ति 58: | ||
<references/> | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{मूर्तिकार}}{{पद्म भूषण}} | {{मूर्तिकार}}{{पद्म भूषण}}{{पद्मश्री}} | ||
[[Category:मूर्तिकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:पद्म भूषण (2020)]][[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:कला कोश]] | [[Category:मूर्तिकार]][[Category:जीवनी साहित्य]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]][[Category:पद्म भूषण]][[Category:पद्म भूषण (2020)]][[Category:पद्म श्री]][[Category:पद्म श्री (1976]])[[Category:चरित कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:कला कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
09:31, 21 जुलाई 2022 का अवतरण
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी
| |
पूरा नाम | बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी |
जन्म | 26 अगस्त, 1927 |
जन्म भूमि | पुणे, भारत (आज़ादी पूर्व) |
कर्म भूमि | भारत |
विद्यालय | के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, मुम्बई |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म भूषण, 2020 |
प्रसिद्धि | वास्तुकार |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी, जिन्होंने न सिर्फ इमारतें बल्कि संस्थान भी बनाए, को ‘प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज’ से सम्मानित किया गया है। यह आर्किटेक्चर की दुनिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। |
अद्यतन | 15:01, 21 जुलाई 2022 (IST)
|
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी (अंग्रेज़ी: Balkrishna Vithaldas Doshi, जन्म- 26 अगस्त, 1927) भारत के प्रसिद्ध वास्तुकार हैं। उन्हें ब्रिटेन के प्रतिष्ठित पुरस्कार 'रॉयल गोल्ड मेडल' (2022) से सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार वास्तुकला की दुनिया में विशेष माना जाता है। 2020 में भारत सरकार ने बालकृष्ण दोशी को पद्म भूषण से नवाजा था।
परिचय
वर्ष 1927 में पुणे, महाराष्ट्र में फर्नीचर निर्माण से जुड़े परिवार में बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी का जन्म हुआ। मुंबई (वर्तमान मुम्बई) के जे.जे. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर के स्टूडेंट रहे दोशी ने सन 1950 के दशक में दिग्गज लि कॉर्ब्यूजेर कंपनी के साथ काम किया। इसके बाद वह भारत वापस आ गए।
व्यवसाय
बी. वी. दोशी ने सन 1955 में अपना स्टूडियो 'वास्तु-शिल्प' बनाया और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद के डिजाइनिंग कैंपस में लुई खान और अनंत राजे के साथ काम किया। इसके अलावा वह बेंगलुरु, लखनऊ, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी, टैगोर मेमोरियल हॉल, इंस्टिट्यूट ऑफ इंडॉलजी सहित भारत के कई परिसरों में वह डिजाइनिंग के लिए गए। दोशी का परिवार फर्नीचर बनाता था। एक इंटरव्यू में खुद दोशी ने कहा था कि उन्हें आर्किटेक्चर से जुड़ी शुरुआती प्रेरणा उनके दादाजी के घर से मिली थी।
आर्किटेक्चर का नोबेल
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी यह सम्मान पाने वाले पहले भारतीय हैं। पुरस्कार मिलने के बाद उन्होंने कहा था, 'मेरा काम मेरे जीवन, दर्शन और सपनों का विस्तार है। मैं यह पुरस्कार अपने गुरु लि कॉर्ब्यूजेर को समर्पित करता हूं।'
दिग्गज भारतीय आर्किटेक्ट बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी, जिन्होंने न सिर्फ इमारतें बल्कि संस्थान भी बनाए, को ‘प्रित्जकर आर्किटेक्चर प्राइज’ से सम्मानित किया गया है। यह आर्किटेक्चर की दुनिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है। उनके नाम का ऐलान करते हुए जूरी ने कहा था, 'सालों से, बालकृष्ण दोशी ने ऐसे डिजाइन बनाए जो गंभीर हैं, कभी भड़कीले नहीं रहे और ट्रेंड से हटकर थे। जिम्मेदारी और अपने देश के निवासियों के लिए कुछ करने की चाह के साथ उन्होंने पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन और उपयोगिता वाले प्रॉजेक्ट्स, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थान, प्राइवेट क्लाइंट्स के लिए घर बनाए।'
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित शाही स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और कहा कि "वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है। दोशी के कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।"
पद्म पुरस्कार
बालकृष्ण विट्ठलदास दोशी को वर्ष 2020 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। यह देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
)