"मांगल्य सप्तमी": अवतरणों में अंतर

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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक [[व्रत]] संस्कार है।  
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*[[सप्तमी]] पर; एक वर्गाकार मण्डप पर [[विष्णु|हरि]] एवं [[लक्ष्मी]] का आवाहन तथा पुष्पों आदि से पूजा की जाती है।  
*[[सप्तमी]] पर; एक वर्गाकार मण्डप पर [[विष्णु|हरि]] एवं [[लक्ष्मी]] का आवाहन तथा पुष्पों आदि से पूजा की जाती है।  
*मिट्टी, ताम्र, चाँदी एवं सोने के चार पात्र रखकर; मिट्टी के चार घटों को वस्त्र से ढँककर उनमें, नमक, तिल एवं हल्दी का चूर्ण रखना चाहिए।
*मिट्टी, ताम्र, चाँदी एवं सोने के चार पात्र रखकर।
*मिट्टी के चार घटों को वस्त्र से ढँककर उनमें, नमक, तिल एवं हल्दी का चूर्ण रखना चाहिए।
*आठ सधवा, चरित्रवती तथा पुत्रवती नारियों को सम्मानित कर उन्हें दक्षिणा देना और उनकी उपस्थिति में मांगल्य (शुभ जीवन) के लिए हरि से प्रार्थना तथा उन्हें विदा करना चाहिए।  
*आठ सधवा, चरित्रवती तथा पुत्रवती नारियों को सम्मानित कर उन्हें दक्षिणा देना और उनकी उपस्थिति में मांगल्य (शुभ जीवन) के लिए हरि से प्रार्थना तथा उन्हें विदा करना चाहिए।  
*[[अष्टमी]] पर पुनः हरि पूजा तथा आठ युवतियों को भोजन देना तथा [[पारण]] करना चाहिए।  
*[[अष्टमी]] पर पुनः हरि पूजा तथा आठ युवतियों को भोजन देना तथा [[पारण]] करना चाहिए।  
*सभी की पुरुष या नारी, राजकुमारी हो या कृषक, कामनाएँ पूर्ण होती हैं; <ref>हेमाद्रि (व्रत0 1, 768-770)</ref>
*सभी की पुरुष या नारी, राजकुमारी हो या कृषक, कामनाएँ पूर्ण होती हैं।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 1, 768-770)</ref>





06:18, 15 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • सप्तमी पर; एक वर्गाकार मण्डप पर हरि एवं लक्ष्मी का आवाहन तथा पुष्पों आदि से पूजा की जाती है।
  • मिट्टी, ताम्र, चाँदी एवं सोने के चार पात्र रखकर।
  • मिट्टी के चार घटों को वस्त्र से ढँककर उनमें, नमक, तिल एवं हल्दी का चूर्ण रखना चाहिए।
  • आठ सधवा, चरित्रवती तथा पुत्रवती नारियों को सम्मानित कर उन्हें दक्षिणा देना और उनकी उपस्थिति में मांगल्य (शुभ जीवन) के लिए हरि से प्रार्थना तथा उन्हें विदा करना चाहिए।
  • अष्टमी पर पुनः हरि पूजा तथा आठ युवतियों को भोजन देना तथा पारण करना चाहिए।
  • सभी की पुरुष या नारी, राजकुमारी हो या कृषक, कामनाएँ पूर्ण होती हैं।[1]



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 1, 768-770)

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