छो (पातालव्रत का नाम बदलकर पाताल व्रत कर दिया गया है) |
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*वर्ष के अन्त में ब्राह्मणों के घरों में दीप जलाना एवं श्वेत वस्त्रों का दान दिया जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 506-507), भविष्योत्तरपुराण 3|158|1-7 से उद्धरण।</ref> | *वर्ष के अन्त में ब्राह्मणों के घरों में दीप जलाना एवं श्वेत वस्त्रों का दान दिया जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 506-507), भविष्योत्तरपुराण 3|158|1-7 से उद्धरण।</ref> | ||
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07:06, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है।
- पातालव्रत एक वर्ष तक चलता है।
- सात पातालों की पूजा (एक के उपरान्त एक की पूजा) की जाती है।
- नक्त विधि से भोजन करना होता है।
- वर्ष के अन्त में ब्राह्मणों के घरों में दीप जलाना एवं श्वेत वस्त्रों का दान दिया जाता है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 506-507), भविष्योत्तरपुराण 3|158|1-7 से उद्धरण।
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