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07:11, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत कार्तिक शुक्ल पक्ष की दशमी से आरम्भ करना चाहिए।
- इस व्रत में ऋतु, दक्ष आदि दस विश्वेदेवों के रूप में केशव की पूजा करनी चाहिए।
- यह पूजा कृत्य मण्डलों या सोने या चाँदी की प्रतिमाओं में होती है।
- वर्ष के अन्त में हरिण्य दान करना चाहिए।
- इसके करने से विष्णुलोक की प्राप्ति, उसके उपरान्त कर्ता एक राजा या ब्राह्मणों में श्रेष्ठ ब्राह्मण बनता है।[1]
- दस विश्वेदेवों के नाम हैं–वसु, सत्य, ऋतु, दक्ष, काल, काम, धृति, कुरु, पुरूरवा एवं भाद्रव।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 965-966, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।
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