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07:11, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण
'*भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- आश्विन शुक्ल में जब की चन्द्र पुष्य नक्षत्र में हो।
- शाक्य द्वारा कहे गये वचनों के साथ प्रतिमा स्थापन और मन्दिर को स्वच्छ कर के श्वेत रंग से पोत दिया जाता है।
- तीन दिनों तक नैवेद्य एवं दान दरिद्र लोगों को दिया जाता है।[1]
- यह द्रष्टव्य है कि नीलमत पुराण में बुद्ध को भी कलि युग में विष्णु का अवतार माना गया है।
- सर्वास्तिवादियों के मत से बुद्ध का परिनिर्वाण कार्तिक में तथा सिंहली परम्परा के अनुसार वैशाख में हुआ था।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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