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*षण्मूर्तिव्रत एक वर्ष तक किया जाता है।<ref>हेमाद्रि (हेमाद्रि खण्ड 2, 858-859, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|156|1-7 से उद्धरण)</ref> | *षण्मूर्तिव्रत एक वर्ष तक किया जाता है।<ref>हेमाद्रि (हेमाद्रि खण्ड 2, 858-859, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|156|1-7 से उद्धरण)</ref> | ||
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07:27, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर 6 ऋतुओं की पूजा की जाती है।
- षण्मूर्तिव्रत ऋतुव्रत है।
- षण्मूर्तिव्रत में देवता ऋतुएँ होती है।
- षण्मूर्तिव्रत क्रम से फलों एवं पुष्पों, रूक्ष वस्तुओं ग्रीष्म में, मीठी वस्तुओं वर्षा में, भोजन एवं लवण शरद में, कटु (तिक्त) एवं अम्ल (खट्टे) पदार्थों हेमन्त में, तीक्ष्ण पदार्थों शिशिर में आदि 6 ऋतुओं का सम्मान करना चाहिए।
- प्रत्येक षष्ठी पर उपवास, नक्तविधि[1] करना चाहिए।
- षण्मूर्तिव्रत एक वर्ष तक किया जाता है।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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