व्याह्रति व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से व्याह्रतिव्रत आरम्भ होता है।
- किसी बड़ी नदी में स्नान के उपरान्त सात दिनों तक गौमूत्र, गोबर, दूध, दही, घृत, कुश युक्त जल का क्रम से पान एवं अन्त में (सातवें दिन) उपवास करना चाहिए।
- प्रतिदिन महाव्याह्रतियों (भू:, भुव:, स्व:, मह:, जन:, तप:, एवं सत्यम्) के साथ तिल से होम करना चाहिए।
- व्याह्रतिव्रत एक वर्ष तक प्रतिमास रखना चाहिए।
- अन्त में दक्षिणा नवीन वस्त्र, सोना, पीतल के पात्र, दुधारू गाय का दान करना चाहिए।
- व्याह्रतिव्रत से कर्ता सम्राट हो जाता है।[1]
- व्याह्रतियों एवं महाव्याह्तियों के लिए धर्मशास्त्र[2] में इस महाग्रन्थ का वर्णन है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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