प्रयोग:Asha
त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले |
उत्तर त्रिपुरा ज़िला . दक्षिण त्रिपुरा ज़िला . धलाई ज़िला . पश्चिम त्रिपुरा ज़िला |
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कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ | |||
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1- खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे |
अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना। | |||
2- खोदा पहाड़ निकली चुहिया। |
अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना। | |||
3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर… खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥ |
अर्थ - किसान को खेत में खूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फसल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है। | |||
4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै। |
अर्थ - कृषक बनिये कर्ज से कभी नहीं निकल पाता है। | |||
5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत। |
अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फसल अच्छी होती है।। | |||
6- खनिके काटै घनै मोरावै। तव बरदा के दाम सुलावै।। |
अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और खूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है। | |||
7- खग जाने खग ही की भाषा।। |
अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं। | |||
8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।। |
अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता। | |||
9- खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है। |
अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना। | |||
10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार। |
अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है। | |||
11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता। |
अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता। | |||
12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय। |
अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते। | |||
13- खाली बनिया क़यास करे, इस कोठी का धान उस कोठी में धरे। |
अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे –सीधे काम करता रहता है। | |||
14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं। |
अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है। | |||
15- ख़ुदा गंजे को नाखून न दे। |
अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है। | |||
16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। |
अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे। | |||
17- खुशामद से ही आमद है।। |
अर्थ - खुशामद से ही धन आता है। | |||
18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे। |
अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है। | |||
19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा। |
अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को। | |||
20- खेती,खसम लेती। |
अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है। | |||
21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का। |
अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का। | |||
22- खोदा पहाड़ निकली चुहिया। |
अर्थ - परिश्रम बहुत पर लाभ बहुत ही कम। | |||
23- खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे। |
अर्थ - क्षमता से अधिक कार्य ना कर पाने पर क्रोध करना। | |||
24- खटाई में पड़ना। |
अर्थ - टल जाना। | |||
25- ख़्याली पुलाव पकाना। |
अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना। | |||
26- ख़ाक छानना। |
अर्थ - मारा-मारा फिरना। | |||
27- ख़ाक में मिलाना। |
अर्थ - नष्ट करना। | |||
28- खिचड़ी पकाना। |
अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना। | |||
29- खुले हाथ। |
अर्थ - उदार होना। | |||
30- खूँटे के बल कूदना। |
अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना। | |||
31- खून का घूँट पीना। |
अर्थ - गुस्सा पचा जाना। | |||
32- खून खुश्क होना। |
अर्थ - भयभीत होना। | |||
33- खून खौलना / उबलना। |
अर्थ - जोश में आना। | |||
34- खून-पसीना एक करना। |
अर्थ - कड़ी मेहनत करना। | |||
35- खेत रहना। |
अर्थ - रणभूमि में मारा जाना। | |||
36- काज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से। |
अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना। | |||
37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है। |
अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है। | |||
38- कान में तेल डाले बैठे हैं। |
अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की खबर ही नहीं। | |||
39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का। |
अर्थ - निकम्मा आदमी। | |||
40- काबुल में क्या गधे नहीं होते। |
अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है। | |||
41- काम को काम सिखाता है। |
अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है। | |||
42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान, काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक। |
अर्थ - मृत्यु सब को आती है। | |||
43- काला अक्षर भैंस बराबर। |
अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना। | |||
44- काली के ब्याह को सौ जोखो। |
अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं। | |||
45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान। |
अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती। | |||
46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है। |
अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है। | |||
47- किसी का घर जले कोई तापे। |
अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना। | |||
48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता। |
अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता। | |||
49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है। |
अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है। | |||
50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे। |
अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ? | |||
51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है। |
अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है। | |||
52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। |
अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता। | |||
53- कुत्ते को घी नहीं पचता। |
अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है। | |||
54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते। |
अर्थ - महापुरूष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं। | |||
55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है। |
अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है। | |||
56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय। |
अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता। | |||
57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे। |
अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता। | |||
58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत। |
अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई गरीबी में भी संतुष्ट है। | |||
59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे। |
अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, गरीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है। | |||
60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ। |
अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है। | |||
61- कोयलों की दलाली में हाथ काले। |
अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है। | |||
62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग की सैर। |
अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया। | |||
63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं। |
अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती। | |||
64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। |
अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है। | |||
65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। |
अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है। | |||
66- का वर्षा जब कृषि सुखानी। |
अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है। | |||
67- कच्ची गोली नहीं खेलना। |
अर्थ - अनुभवहीन नही होना , पारंगत होना। | |||
68- कट जाना। |
अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना। | |||
69- कटे पर नमक छिड़कना। |
अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना। | |||
70- कढ़ी का सा उबाल। |
अर्थ - मामूली से जोश में आना। |
_ | 71- कदम उखड़ना। |
अर्थ - भाग खड़े होना। |
72- कन्नी काटना। |
अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना। | |||
73- कमर कसना। |
अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना। | |||
74- कलम का धनी। |
अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना। | |||
75- कलम तोड़ना। |
अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना। | |||
76- कली खिलना। |
अर्थ - बहुत खुश होना। | |||
77- कलेजा ठंडा होना। |
अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना। | |||
78- कलेजा धक से रह जाना। |
अर्थ - डर जाना, घबरा जाना। | |||
79- कलेजा मुँह को आना। |
अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना। | |||
80- कलेजा का टुकड़ा। |
अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना। | |||
81- कलेजे पर साँप लोटना। |
अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना। | |||
82- कहा-सुनी होना। |
अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना। | |||
83- काँटा दूर होना। |
अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना। | |||
84- काँटे बिछाना। |
अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना। | |||
85- काँटों पर लेटना। |
अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना। | |||
86- काँटों पर घसीटना। |
अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना। | |||
87- कागजी घोड़े दौड़ाना। |
अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना। | |||
88- काजल की कोठरी। |
अर्थ - कलंक लगने का स्थान। | |||
89- काठ का उल्लू। |
अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना। | |||
90- काठ मार जाना। |
अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना। | |||
91- कान कतरना। |
अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना। | |||
92- कान खड़े होना। |
अर्थ - चौकन्ना होना। | |||
93- कान खोलना। |
अर्थ - सावधान कर देना। | |||
94- कान गरम करना। |
अर्थ - पिटाई करना। | |||
95- कान देना। |
अर्थ - ध्यान से सुनना। | |||
96- कान पकड़ना। |
अर्थ - गलती मान लेना। | |||
97- कान पर जूँ तक न रेंगना। |
अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। | |||
98- कान भरना। |
अर्थ - चुगली करना। | |||
99- कान में बात डाल देना। |
अर्थ - सुना देना, कह देना। | |||
100- कान में तेल डालकर बैठना। |
अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। | |||
101- कान में फूँकना। |
अर्थ - चुपचाप से कह देना। | |||
102- कान लगाना। |
अर्थ - ध्यान देकर सुनना। | |||
103- काफूर होना। |
अर्थ - गायब हो जाना। | |||
104- काम आना। |
अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना। | |||
105- काम तमाम करना। |
अर्थ - मार डालना। | |||
106- काया पलट जाना। |
अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। | |||
107- काल कवलित होना। |
अर्थ - मर जाना। | |||
108- काल के गाल में जाना। |
अर्थ - मर जाना। | |||
109- काला नाग। |
अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । | |||
110- काला मुँह करना। |
अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना। | |||
111- काले कोसों। |
अर्थ - बहुत दूर। | |||
112- क़िताबी कीड़ा होना। |
अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। | |||
113- किरकिरी हो जाना। |
अर्थ - विघ्न पड़ना। | |||
114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। |
अर्थ - किसी भी काम का न होना। | |||
115- किस्मत फूटना। |
अर्थ - बुरे दिन आना। | |||
116- कीचड़ उछालना। |
अर्थ - निंदा करना। | |||
117- कुआँ खोदना। |
अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना। | |||
118- कुएँ में गिरना। |
अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। | |||
119- कुएँ में भाँग पड़ना। |
अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। | |||
120- कुछ उठा न रखना। |
अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। | |||
121- कुत्ते की दुम। |
अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। | |||
122- कुत्ते की मौत मरना। |
अर्थ - बुरी तरह मरना। | |||
123- कूच कर जाना। |
अर्थ - चले जाना। | |||
124- कूप मंडूक होना। |
अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। | |||
125- कोई दम भर का मेहमान होना। |
अर्थ - मरने के क़रीब होना। | |||
126- कोढ़ में खाज होना। |
अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। | |||
127- कोर दबना। |
अर्थ - दबाव में होना। | |||
128- कोल्हू का बैल। |
अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। | |||
129- कौए उड़ाना। |
अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। | |||
130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। |
अर्थ - कंजूस होना। | |||
131- कंधे से कंधा छिलना। |
अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। | |||
132- ककड़ी-खीरा समझना। |
अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। | |||
133- कच्चा चिट्ठा खोलना। |
अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |
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