प्रयोग:Asha
त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले |
उत्तर त्रिपुरा ज़िला . दक्षिण त्रिपुरा ज़िला . धलाई ज़िला . पश्चिम त्रिपुरा ज़िला |
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कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ |
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1- टके का सब खेल है। |
अर्थ - पैसा सब कुछ करता है। |
2- टका सा जवाब देना। |
अर्थ - साफ़ इंकार करना। |
|3- टका सा मुँह लेकर रह जाना। | अर्थ - लज्जित हो जाना। |- |4- टटिया की आड़ में शिकार खेलना। | अर्थ - छिपकर किसी के विरूद्ध कुछ करना, आड़ लेकर काम करना। |- |5- टट्टू पार होना। | अर्थ - काम निकल जाना। |- |6- टाँग अड़ाना। | अर्थ - बाधा पैदा करना। |- |7- टाँग तले से निकलना। | अर्थ - हार मनवाना। |- |8- टाँय-टाँय फिस होना। | अर्थ - काम बिगड़ जाना। |- |9- टाट उलटना। | अर्थ - दीवाला निकलना। |- |10- टेढ़ी खीर। | अर्थ - कठिन काम। |- |} |11- जब तक जीना तब तक सीना। | अर्थ - जीते-जी कोई न कोई काम करना पड़ता है। |- |12- जब तक साँस तब तक आस। | अर्थ - अंत समय तक उम्मीद बनी रहती है। |- |13- जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर। | अर्थ - जबरदस्ती आदमी दबाव डाल कर काम लेता है । |- |14- जबरा मारे रोने न दे। | अर्थ - जवरदस्त आदमी का अत्याचार चुपचाप सहना पड़ता है। |- |15- ज़बान को लगाम चाहिए। | अर्थ - सोच-समझकर बोलना चाहिए। |- |16- ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए। | अर्थ - मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है। |- |17- ज़र का ज़ोर पूरा है, और सब अधूरा है। | अर्थ - धन सबसे बलवान है। |- |18- ज़र है तो नर, नहीं तो खंडहर। | अर्थ - पैसे से ही आदमी का सम्मान है। |- |19- जल में रहकर मगर से बैर। | अर्थ - जहाँ रहना हो वहाँ के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता । |- |20- जस दूल्हा तस बनी बराता। | अर्थ - जैसे आप वैसे साथी। |- |21- जहं जहं चरण पड़े संतन के, तहं तहं बंटाधार। | अर्थ - अभागा व्यक्ति जहाँ जाता है, बुरा होता है। |- |22- जहाँ गुड़ होगा, वहीं मक्खियाँ होंगी। | अर्थ - आकर्षक जगह पर लोग जमा होते हैं। |- |23- जहाँ चार बासन होगें, वहाँ खटकेगें भी। | अर्थ - जहाँ कुछ व्यक्ति होते है वहाँ कभी-कभी झगड़ा हो ही जाता है। |- |24- जहाँ चाह वहाँ राह। | अर्थ - इच्छा हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है। |- |25- जहाँ देखे तवा परात, वहीं गुजारी सारी रात। | अर्थ - जहाँ कुछ प्राप्ति होती हो, वहाँ लालची आदमी जम जाता है। |- |26- जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि। | अर्थ - कवि अपनी कल्पना से सब जगह पहुँच जाता है। |- |27- जहाँ फूल वहाँ काँटा। | अर्थ - अच्छाई के साथ बुराई भी लगी होती है। |- |28- जहाँ मुर्गा नहीं होता क्या वहाँ सवेरा नहीं होता। | अर्थ - किसी के बिना काम रुकता नहीं है। |- |29- जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई। | अर्थ - दु:ख को भुक्ता भोगी ही जानता है उसे अन्य कोई नहीं जान सकता है। |- |30- जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा। | अर्थ - लाभ इसमें है कि आदमी सतर्क रहे। |- |31- जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले। | अर्थ - असरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है। |- |32- जान मारे बनिया पहचान मारे चोर। | अर्थ - बनिया और चोर जान पहचान वालों को भी ठगते हैं। |- |33- जाएं लाख, रहे साख। | अर्थ - धन भले ही चला जाए, इज्जत बचनी चाहिए। |- |34- जितना गुड़ डालो, उतना ही मीठा। | अर्थ - जितना खर्चा करोगे चीज़ उतनी ही अच्छी मिलेगी। |- |35- जितनी चादर देखो, उतने ही पैर पसारो। | अर्थ - आमदनी के हिसाब से खर्च करो। |- |36- जितने मुँह उतनी बातें। | अर्थ - अनेक प्रकार की अफवाहें। |- |37- जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैंठ। | अर्थ - जितना कठिन परिश्रम उतना ही लाभ होता है। |- |38- जिस तन लगे वही तन जाने। | अर्थ - जिसको कष्ट होता है वही उसका अनुभव कर सकता है। |- |39- जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना। | अर्थ - जो उपकार करे, उसका ही अहित करना। |-|} |40- जिसका काम उसी को साजै। | अर्थ - जो काम जिसका है वही उसे भली प्रकार से कर सकता है। |- |41- जिसका खाइए उसका गाइए। | अर्थ - जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो। |- |42- जिसकी जूती उसी के सिर। | अर्थ - जिसकी करनी उसी को फल मिलता है। |- |43- जिसकी लाठी उसी की भैंस। | अर्थ - शक्ति संपन्न आदमी का रौब चलता है और वह अपना काम बना लेता है। |- |44- जिसके हाथ डोई, उसका सब कोई। | अर्थ - धनी आदमी के सब मित्र हैं। |- |45- जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन। | अर्थ - जिसको अफ़सर माने,वहीं योग्य है। |- |46- जी का बैरी जी। | अर्थ - मनुष्य ही मनुष्य का शत्रु है। |- |47- जीभ भी जली और स्वाद भी न आया। | अर्थ - कष्ट सहकर भी सुख न मिला। |- |48- जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती | अर्थ - थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता। |- |49- जुठा खाए, मीठे के लालच। | अर्थ - लाभ के लालच में नीच काम करना। |- |50- जैसा करोगे वैसा भरोगे, जैसा बोओगे वैसा काटोगे। | अर्थ - अपनी करनी का फल मिलता है। |- |51- जैसा मुँह वैसा थप्पड़। | अर्थ - जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है। |- |52- जैसा राजा वैसी प्रजा। | अर्थ - जैसा मालिक होता है वैसे ही कर्मचारी होते हैं। |- |53- जैसे तेरी कोमरी, वैसे मेरे गीत। | अर्थ - जैसा दोगे वैसा पाओगे। |- |54- जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश। | अर्थ - निकम्मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं। |- |55- जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ। | अर्थ - सबका एक जैसा होना। |- |56- जैसे मियाँ काइ का वैसे सन की दाढ़ी। | अर्थ - ठीक मेल है। |- |57- जो गरजते हैं वो बरसते नहीं। | अर्थ - बहुत डींग हाँकने वाले काम के नहीं होते हैं। |- |58- जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से। | अर्थ - बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है। |- |59- जो गुड़ खाए सो कान छिदवाए। | अर्थ - लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है। |- |60- जो तोको काँटा बुवे ताहि बोइ तू फूल। | अर्थ - बुराई का बदला भी भलाई से दो। |- |61- जो बोले सो घी को जाए। | अर्थ - ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता। |- |62- जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा। | अर्थ - जो मन में है वह प्रकट होगा ही। |- |63- ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों -त्यों भारी होय | अर्थ - जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं। |- |64- ज्यों नकटे को आरसी होत दिखाई क्रोध। | अर्थ - दोषी को उसका दोष बताया जाए तो क्रुद्ध होता है। |- |65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे। | अर्थ - अपना घर दूर से सूझता है। |- |66- जंगल में मंगल होना। | अर्थ - उजाड़ में चहल-पहल होना। |- |67- जड़ों में मट्ठा ड़ालना / तेल देना / जड़ खोदना / जड़ काटना। | अर्थ - समूल नष्ट करना। |- |68- ज़बान काट कर देना। | अर्थ - वादा करना। |- |69- ज़बान पर चढ़ना। | अर्थ - याद आना। |- |70- ज़बान पर लगाम न होना। | अर्थ - बेमतलब बोलते जाना। |_ |71- ज़मीन आसमान एक करना। | अर्थ - सब उपाय कर डालना। |- |72- ज़मीन आसमान का फर्क। | अर्थ - बहुत भारी अंतर होना। |- |73- ज़मीन पर पैर न रखना। | अर्थ - अकड़कर चलना, इतराना। |- |74- ज़मीन में गड़ना। | अर्थ - लज्जा से सिर नीचा होना। |- |75- जलती आग में घी डालना। | अर्थ - और भड़काना। |- |76- जली-कटी सुनाना। | अर्थ - बुरा-भला कहना। |- |77- ज़हर उगलना। | अर्थ - कड़वी बातें कहना। |- |78- ज़हर की पुडि़या। | अर्थ - झगड़ालू औरत। |- |79- ज़हाज का पंछी। | अर्थ - जिसका कोई ठिकाना नहीं हो। |- |80- जान के लाले पड़ना। | अर्थ - संकट में पड़ना। |- |81- जान पर खेलना। | अर्थ - जान की बाजी लगाना। |- |82- जान में जान आना। | अर्थ - चैन, सकून मिलना। |- |83- जान से हाथ धोना बैठना। | अर्थ - मारा जाना। |- |84- जान हथेली पर रखना। | अर्थ - जान की परवाह न करना। |- |85- जामे से बाहर होना। | अर्थ - अत्यधिक क्रुद्ध होना। |- |86- जी का जंजाल। | अर्थ - व्यर्थ का झंझट। |- |87- जी खट्टा होना। | अर्थ - विरक्ति होना। |- |88- जी चुराना। | अर्थ - काम करने से कतराना। |- |89- जीते जी मक्खी निगलना। | अर्थ - जी पर बन आना। |- |90- जी भर आना। | अर्थ - दु:खी होना। |- |91- जूतियों में दाल बाँटना। | अर्थ - लड़ाई- झगड़ा होना। |- |92- जूते चाटना। | अर्थ - चापलूसी करना। |- |93- जोड़-तोड़ करना। | अर्थ - उपाय करना। |- |} |94- कान गरम करना। | अर्थ - पिटाई करना। |- |95- कान देना। | अर्थ - ध्यान से सुनना। |- |96- कान पकड़ना। | अर्थ - गलती मान लेना। |- |97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। |- |98- कान भरना। | अर्थ - चुगली करना। |- |99- कान में बात डाल देना। | अर्थ - सुना देना, कह देना। |- |100- कान में तेल डालकर बैठना। | अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। |- |101- कान में फूँकना। | अर्थ - चुपचाप से कह देना। |- |102- कान लगाना। | अर्थ - ध्यान देकर सुनना। |- |103- काफूर होना। | अर्थ - गायब हो जाना। |- |104- काम आना। | अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना। |- |105- काम तमाम करना। | अर्थ - मार डालना। |- |106- काया पलट जाना। | अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। |- |107- काल कवलित होना। | अर्थ - मर जाना। |- |108- काल के गाल में जाना। | अर्थ - मर जाना। |- |109- काला नाग। | अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । |- |110- काला मुँह करना। | अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना। |- |111- काले कोसों। | अर्थ - बहुत दूर। |- |112- क़िताबी कीड़ा होना। | अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। |- |113- किरकिरी हो जाना। | अर्थ - विघ्न पड़ना। |- |114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | अर्थ - किसी भी काम का न होना। |- |115- किस्मत फूटना। | अर्थ - बुरे दिन आना। |- |116- कीचड़ उछालना। | अर्थ - निंदा करना। |- |117- कुआँ खोदना। | अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना। |- |118- कुएँ में गिरना। | अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। |- |119- कुएँ में भाँग पड़ना। | अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। |- |120- कुछ उठा न रखना। | अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। |- |121- कुत्ते की दुम। | अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। |- |122- कुत्ते की मौत मरना। | अर्थ - बुरी तरह मरना। |- |123- कूच कर जाना। | अर्थ - चले जाना। |- |124- कूप मंडूक होना। | अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। |- |125- कोई दम भर का मेहमान होना। | अर्थ - मरने के क़रीब होना। |- |126- कोढ़ में खाज होना। | अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। |- |127- कोर दबना। | अर्थ - दबाव में होना। |- |128- कोल्हू का बैल। | अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। |- |129- कौए उड़ाना। | अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। |- |130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | अर्थ - कंजूस होना। |- |131- कंधे से कंधा छिलना। | अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। |- |132- ककड़ी-खीरा समझना। | अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। |- |133- कच्चा चिट्ठा खोलना। | अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |- |} 228 - देखकर मक्खी नहीं निगली जाती, `अर्थ - कहावत - अहित सामने देखकर चुप नहीं रहा जाता। |}