प्रयोग:Asha
त्रिपुरा प्रदेश के ज़िले |
उत्तर त्रिपुरा ज़िला . दक्षिण त्रिपुरा ज़िला . धलाई ज़िला . पश्चिम त्रिपुरा ज़िला |
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कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ | |||
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1- बुद्ध वृहस्पति दो भले, शुक्र न भला बखा… |
अर्थ - धान की बुवाई हेतु बुद्ध और गुरु शुभ दिन हैं। शुक्र अशुभ है। अगर रविवार और मंगल को धान बोया जाएगा तो उपज नहीं के समान होगी ऐसा लोकमत है। | |||
2- बिल्ली के भागों छींका टूटा। |
अर्थ - जैसा व्यक्ति चाहे, वैसा ही हो जाये। | |||
3- बिन माँगे मोती मिलें, माँगे मिले न भीख। |
अर्थ - सौभाग्य से कोई अच्छी चीज़ अपने –आप मिल जाती है और दुर्भाग्य से घटिया चीज़ प्रयत्न करने पर भी नहीं मिलती। | |||
4- बंदर घुड़की / भभकी। |
अर्थ - प्रभावहीन धमकी। | |||
5- बखिया उधेड़ना। |
अर्थ - भेद खोलना। | |||
6- बच्चों का खेल। |
अर्थ - सरल काम । | |||
7- बछिया का ताऊ। |
अर्थ - मूर्ख! कुछ समझते भी हो या नहीं। | |||
8- बट्टा लगना। |
अर्थ - कलंक लगना। | |||
9- बड़े घर की हवा खाना। |
अर्थ - जेल जाना। | |||
10- बत्ती सी खिलना। |
अर्थ - हँसी आना। | |||
11- बत्तीसी बंद होना। |
अर्थ - चुप हो जाना। | |||
12- बरस पड़ना। |
अर्थ - अति क्रुद्ध होकर डाँटना। | |||
13- बल्लियों / बासों उछलना। |
अर्थ - बहुत खुश होना। | |||
14- बाएँ हाथ का खेल। |
अर्थ - अति सरल कार्य। | |||
15- बुरे दिनन के फेर से सुमेरू होत माटी को। |
अर्थ - जब बुरे दिन आते हैं तो सोना भी मिट्टी की कीमत का हो जाता है। | |||
16- बाछें खिल जाना। |
अर्थ - अत्यन्त प्रसन्न होना। | |||
17- बाज़ार गर्म होना। |
अर्थ - तेजी होना। | |||
18- बात का धनी होना। |
अर्थ - वचन का पक्का होना। | |||
19- बात की बाम में। |
अर्थ - तुरंत बात की बात में । | |||
20- बात तक न पूछना। |
अर्थ - आदर न करना। | |||
21- बाल की खाल उतारना। |
अर्थ - अनावश्यक विवाद करना। | |||
22- बाल बाँका न कर सकना। |
अर्थ - कुछ भी हानि न पहुँचा सकना। | |||
23- बालू से तेल निकालना। |
अर्थ - असम्भव को सम्भव करना। | |||
24- बासी कढी में उबाल आना। |
अर्थ - उचित समय के पश्चात इच्छा जागना। | |||
25- बिल्ली के गले में घंटी बाँधना। |
अर्थ - अपने को संकट में डालना। | |||
26- बेपेंदी का लोटा। |
अर्थ - ढुलमुल कोशिश / अस्थिर विचारों वाला। | |||
27- देसी कुतिया विलायती बोली। |
अर्थ - किसी की नकल में अपनापन छोड़ना। | |||
28- देह धरे का दंड है, हर काहू को होय। ज्ञानी काटे ज्ञान से, मूरख काटे रोय।। |
अर्थ - जीवन में शरीर के साथ कष्ट तो लगा रहता है, बुध्दिमान व्यक्ति युक्ति से और बेवकूफ रो रोकर जीवन जीता है । | |||
29- दोनों हाथों से ताली बजती है। |
अर्थ - लड़ाई झगड़े के ज़िम्मेदार दोनों पक्ष होते हैं। | |||
30- दोनों हाथों में लड्डू। |
अर्थ - हर तरफ लाभ ही लाभ होना। | |||
31- दो मुल्लों में मुर्गी हलाल। |
अर्थ - एक ही काम की ज़िम्मेदारी दो लोगों को देने से दिया गया काम बिगड़ जाता है। | |||
32- दो लड़ें तीसरा ले उड़े। |
अर्थ - दो व्यक्तियों की लड़ाई में तीसरे व्यक्ति की बन आती है। | |||
33- दुविधा में दोनों गये, माया मिली ना राम। |
अर्थ - दुविधा में हमेशा हानि हो जाती है। संशय में कोई भी काम पूरा नहीं होता है। | |||
34- दमड़ी की बुढिया टका सिर मुँड़ाई। |
अर्थ - मामूली चीज़ के रखरखाव और मरम्मत पर ज्यादा खर्च करना। | |||
35- दाढ़ी पेट में होना। |
अर्थ - छोटी उम्र में अधिक ज्ञान। | |||
36- दमड़ी के तीन होना। |
अर्थ - सस्ते होना। | |||
37- दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना। |
अर्थ - दावा करना। | |||
38- दम भरना। |
अर्थ - जिसको कष्ट होता है वही उसका अनुभव कर सकता है। | |||
39- दाँत काटी रोटी। |
अर्थ - घनिष्ठ मित्रता। | |||
40- दाँत खट्टे करना। |
अर्थ - हरा देना। | |||
41- दाँत तालू में जमना। |
अर्थ - बुरे दिन आना। | |||
42- दाई से पेट छिपाना। |
अर्थ - जानकार से बात छिपाना। | |||
43- दांत पीसकर रह जाना। |
अर्थ - क्रोध रोक लेना। | |||
44- दाँतो तले उँगली दबाना। |
अर्थ - आर्श्चय चकित होना। | |||
45- दाल जूतियों में बंटना। |
अर्थ - अनबन होना। | |||
46- दाल न गलना। |
अर्थ - बस न चलना। | |||
47- दाल में काला होना। |
अर्थ - संदेह होना। | |||
48- दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति होना। |
अर्थ - तीव्र गति से विकास। | |||
49- दिन पहाड़ होना। |
अर्थ - दिन नहीं कटना। | |||
50- दिनों का फेर होना। |
अर्थ - समय समय की बात होना। | |||
51- दिमाग आसमान पर चढ़ना। |
अर्थ - बहुत घमंड होना। | |||
52- दिल का गुबार निकालना। |
अर्थ - दबा भाव प्रकट करना। | |||
53- दिल के फफोले तोड़ना। |
अर्थ - कुढ़कर जली-कटी बातें कहना। | |||
54- दिल भर आना। |
अर्थ - दु:खी होना। | |||
55- दिल मसोसकर रह जाना। |
अर्थ - मन में खीझकर रह जाना। | |||
56- दूज का चाँद होना। |
अर्थ - बहुत दिनों बाद दिखाई देना। | |||
57- दूध का धुला होना। |
अर्थ - निर्दोष होना। | |||
58- दूध का दूध और पानी का पानी। |
अर्थ - सही निर्णय करना। | |||
59- दूध के दाँत न टूटना। |
अर्थ - ज्ञान और अनुभव न होना। | |||
60- दूर की कौड़ी लाना। |
अर्थ - दूर तक का सोच लेना। | |||
61- देवता कूच कर जाना। |
अर्थ - घबरा जाना। | |||
62- दो टूक बात कहना। |
अर्थ - साफ-साफ कहना। | |||
63- दो दिन का मेहमान। |
अर्थ - जल्दी मरने वाला। | |||
64- दो नावों पर पैर रखना। |
अर्थ - दोनों तरफ रहना। | |||
65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे। |
अर्थ - अपना घर दूर से सूझता है। | |||
66- जंगल में मंगल होना। |
अर्थ - उजाड़ में चहल-पहल होना। | |||
67- जड़ों में मट्ठा ड़ालना / तेल देना / जड़ खोदना / जड़ काटना। |
अर्थ - समूल नष्ट करना। | |||
68- ज़बान काट कर देना। |
अर्थ - वादा करना। | |||
69- ज़बान पर चढ़ना। |
अर्थ - याद आना। | |||
70- ज़बान पर लगाम न होना। |
अर्थ - बेमतलब बोलते जाना। |
_ | 71- ज़मीन आसमान एक करना। |
अर्थ - सब उपाय कर डालना। |
72- ज़मीन आसमान का फर्क। |
अर्थ - बहुत भारी अंतर होना। | |||
73- ज़मीन पर पैर न रखना। |
अर्थ - अकड़कर चलना, इतराना। | |||
74- ज़मीन में गड़ना। |
अर्थ - लज्जा से सिर नीचा होना। | |||
75- जलती आग में घी डालना। |
अर्थ - और भड़काना। | |||
76- जली-कटी सुनाना। |
अर्थ - बुरा-भला कहना। | |||
77- ज़हर उगलना। |
अर्थ - कड़वी बातें कहना। | |||
78- ज़हर की पुडि़या। |
अर्थ - झगड़ालू औरत। | |||
79- ज़हाज का पंछी। |
अर्थ - जिसका कोई ठिकाना नहीं हो। | |||
80- जान के लाले पड़ना। |
अर्थ - संकट में पड़ना। | |||
81- जान पर खेलना। |
अर्थ - जान की बाजी लगाना। | |||
82- जान में जान आना। |
अर्थ - चैन, सकून मिलना। | |||
83- जान से हाथ धोना बैठना। |
अर्थ - मारा जाना। | |||
84- जान हथेली पर रखना। |
अर्थ - जान की परवाह न करना। | |||
85- जामे से बाहर होना। |
अर्थ - अत्यधिक क्रुद्ध होना। | |||
86- जी का जंजाल। |
अर्थ - व्यर्थ का झंझट। | |||
87- जी खट्टा होना। |
अर्थ - विरक्ति होना। | |||
88- जी चुराना। |
अर्थ - काम करने से कतराना। | |||
89- जीते जी मक्खी निगलना। |
अर्थ - जी पर बन आना। | |||
90- जी भर आना। |
अर्थ - दु:खी होना। | |||
91- जूतियों में दाल बाँटना। |
अर्थ - लड़ाई- झगड़ा होना। | |||
92- जूते चाटना। |
अर्थ - चापलूसी करना। | |||
93- जोड़-तोड़ करना। |
अर्थ - उपाय करना। |
|94- कान गरम करना। | अर्थ - पिटाई करना। |- |95- कान देना। | अर्थ - ध्यान से सुनना। |- |96- कान पकड़ना। | अर्थ - गलती मान लेना। |- |97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। |- |98- कान भरना। | अर्थ - चुगली करना। |- |99- कान में बात डाल देना। | अर्थ - सुना देना, कह देना। |- |100- कान में तेल डालकर बैठना। | अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। |- |101- कान में फूँकना। | अर्थ - चुपचाप से कह देना। |- |102- कान लगाना। | अर्थ - ध्यान देकर सुनना। |- |103- काफूर होना। | अर्थ - गायब हो जाना। |- |104- काम आना। | अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना। |- |105- काम तमाम करना। | अर्थ - मार डालना। |- |106- काया पलट जाना। | अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। |- |107- काल कवलित होना। | अर्थ - मर जाना। |- |108- काल के गाल में जाना। | अर्थ - मर जाना। |- |109- काला नाग। | अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । |- |110- काला मुँह करना। | अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना। |- |111- काले कोसों। | अर्थ - बहुत दूर। |- |112- क़िताबी कीड़ा होना। | अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। |- |113- किरकिरी हो जाना। | अर्थ - विघ्न पड़ना। |- |114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | अर्थ - किसी भी काम का न होना। |- |115- किस्मत फूटना। | अर्थ - बुरे दिन आना। |- |116- कीचड़ उछालना। | अर्थ - निंदा करना। |- |117- कुआँ खोदना। | अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना। |- |118- कुएँ में गिरना। | अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। |- |119- कुएँ में भाँग पड़ना। | अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। |- |120- कुछ उठा न रखना। | अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। |- |121- कुत्ते की दुम। | अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। |- |122- कुत्ते की मौत मरना। | अर्थ - बुरी तरह मरना। |- |123- कूच कर जाना। | अर्थ - चले जाना। |- |124- कूप मंडूक होना। | अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। |- |125- कोई दम भर का मेहमान होना। | अर्थ - मरने के क़रीब होना। |- |126- कोढ़ में खाज होना। | अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। |- |127- कोर दबना। | अर्थ - दबाव में होना। |- |128- कोल्हू का बैल। | अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। |- |129- कौए उड़ाना। | अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। |- |130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | अर्थ - कंजूस होना। |- |131- कंधे से कंधा छिलना। | अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। |- |132- ककड़ी-खीरा समझना। | अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। |- |133- कच्चा चिट्ठा खोलना। | अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |- |} 228 - देखकर मक्खी नहीं निगली जाती, `अर्थ - कहावत - अहित सामने देखकर चुप नहीं रहा जाता। |}