मैसूर पर्यटन
महाराजा पैलेस, मैसूर |
जगनमोहन महल, मैसूर |
चामुंडी पहाड़ी, मैसूर |
सेंट फिलोमेना चर्च मैसूर |
कृष्णराज सागर बाँध, मैसूर |
तेंदुआ, मैसूर चिड़ियाघर |
रेल संग्रहालय, मैसूर |
नंजनगुड मंदिर, मैसूर |
सोमनाथपुर, मैसूर |
मैसूर दशहरे में जम्बू सवारी |
मैसूर शहर, दक्षिण-मध्य कर्नाटक, भूतपूर्व मैसूर राज्य, दक्षिणी भारत में है। यह चामुंडी पहाड़ी के पश्चिमोत्तर में 770 मीटर की ऊँचाई पर लहरदार दक्कन पठार पर कावेरी नदी व कब्बानी नदी के बीच स्थित है।
पर्यटन स्थल
मैसूर अति सुन्दर परिष्कृत नगर है। यह एक पर्यटन स्थल भी है। मैसूर में कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। मैसूर में क़िले, पहाड़ियाँ एवं झीलें भी हैं। मैसूर में ऐतिहासिक महत्त्व की जगहों के अलावा भी ऐसी बहुत सी जगह हैं जहाँ आप जा सकते हैं। यह शहर सिर्फ़ बड़ों के ही नहीं बल्कि बच्चों के मनोरंजन का भी पूरा ध्यान रखता है।
वृन्दावन गार्डन
- वृंदावन गार्डन, कर्नाटक राज्य, मैसूर शहर से लगभग 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यह ख़ूबसूरत गार्डन कावेरी नदी पर बने कृष्णराज सागर बांध के नीचे है।
- इस गार्डन की नींव 1927 में रखी गयी थी और इसका निर्माण कार्य 1932 में पूरा हुआ था।
महाराजा पैलेस
- मैसूर महल मिर्जा रोड पर स्थित भारत के सबसे बड़े महलों में से एक है।
- जब लकड़ी का महल जल गया था, तब इस महल का निर्माण कराया गया।
- 1912 में बने इस महल का नक़्शा ब्रिटिश के हेनरी इर्विन ने बनाया था।
- बहुमूल्य रत्नों से सजे इस सिंहासन को दशहरे के दौरान जनता के देखने के लिए रखा जाता है।
जगनमोहन महल
- जगनमोहन महल का निर्माण महाराज कृष्णराज वाडियर ने 1861 में करवाया था।
- जगनमोहन महल को 1915 में श्री जयचमाराजेंद्र आर्ट गैलरी का रूप दे दिया गया जहाँ मैसूर और तंजौर शैली की तस्वीरें, मूर्तियाँ और दुर्लभ वाद्ययंत्र रखे गए हैं।
चामुंडी पहाड़ी
- इस पहाड़ी की चोटी पर चामुंडेश्वरी मंदिर है जो देवी दुर्गा को समर्पित है।
- चामुंडेश्वरी मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था। यह मंदिर देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय का प्रतीक है।
- चामुंडेश्वरी मंदिर के मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की बनी हुई है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है।
सेंट फिलोमेना चर्च
- वर्तमान में इस चर्च को सेंट जोसेफ चर्च के नाम से जाना जाता है।
- 1933 में बना यह चर्च भारत के सबसे बड़े चर्च में से एक है।
- सेंट फिलोमेना चर्च के भूमिगत कमरे में तीसरी शताब्दी के संत की प्रतिमा स्थापित है।
कृष्णराज सागर बाँध
- कृष्णराज सागर बाँध 1932 में बनाया गया था।
- कृष्णराज सागर बाँध को के. आर. एस बाँध भी कहा जाता है।
- कृष्णराज सागर बाँध आज़ादी से पहले की सिविल इंजीनियरिंग का नमूना है।
- कृष्णराज सागर बाँध की लंबाई 8600 फीट, ऊँचाई 130 फीट और क्षेत्रफल 130 वर्ग किलोमीटर है।
जी. आर. एस फैंटेसी पार्क
- जी. आर. एस फैंटेसी पार्क मैसूर का एकमात्र पानी का मनोरंजन पार्क है।
- जी. आर. एस फैंटेसी पार्क के मुख्य आकर्षण पानी के खेल, रोमांचक सवारी और बच्चों के लिए तालाब हैं।
मैसूर चिड़ियाघर
- मैसूर चिड़ियाघर विश्व के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। इसका निर्माण 1892 में शाही संरक्षण में हुआ था।
- मैसूर चिड़ियाघर में हाथी, सफ़ेद मोर, दरियाई घोड़े, गैंडे और गोरिल्ला भी यहाँ देखे जा सकते हैं।
रेल संग्रहालय
- रेल संग्रहालय कृष्णराज सागर रोड पर स्थित सीएफटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के सामने है।
- 1979 में स्थापित इस संग्रहालय में एक विशेष क्षेत्र से जुड़ी हुई वस्तुओं का अच्छा संग्रह है।
- रेल संग्रहालय बच्चों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उनके ज्ञान को भी बढ़ाता है।
मैसूर के आसपास के दर्शनीय स्थल
नंजनगुड मंदिर
- यह नगर कबीनी नदी के किनारे मैसूर के दक्षिण में राज्य राजमार्ग 17 पर है।
- दक्षिण काशी कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित लिंग के बारे में माना जाता है कि इसकी स्थापना गौतम ऋषि ने की थी।
श्रवणबेलगोला
- यहाँ का मुख्य आकर्षण गोमतेश्वर/ बाहुबली स्तंभ है। बाहुबलि मोक्ष प्राप्त करने वाले प्रथम तीर्थंकर थे।
- यहाँ जैन तपस्वी की 983 ई. में स्थापित 57 फुट लंबी प्रतिमा है। इसका निर्माण राजा रचमल्ला के एक सेनापति ने कराया था।
सोमनाथपुर
- यह छोटा गाँव मैसूर के पूर्व में कावेरी नदी के किनारे बसा है।
- यहाँ का मुख्य आकर्षण केशव मंदिर है जिसका निर्माण 1268 में होयसल सेनापति, सोमनाथ दंडनायक ने करवाया था।
- सितार के आकार के चबूतरे पर बने इस मंदिर को मूर्तियों से सजाया गया है। इस मंदिर में तीन गर्भगृह हैं।
मैसूर दशहरा
मैसूर में मनाया जाने वाला का दशहरा सिर्फ़ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। मैसूर में छ: सौ सालों से अधिक पुरानी परंपरा वाला यह पर्व ऐतिहासिक दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण है ही, साथ ही यह कला, संस्कृति और आनंद का भी अद्भुत सामंजस्य है। पारंपरिक उत्साह एवं धूमधाम के साथ दस दिनों तक मनाया जाने वाला मैसूर का 'दशहरा उत्सव' देवी दुर्गा (चामुंडेश्वरी) द्वारा महिषासुर के वध का प्रतीक है। अर्थात यह बुराई पर अच्छाई, तमोगुण पर सत्गुण, दुराचार पर सदाचार या दुष्कर्मों पर सत्कर्मों की जीत का पर्व है। इस उत्सव के द्वारा सभी को माँ की भक्ति में सराबोर किया जाता है। शहर की अद्भुत सजावट एवं माहौल को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो स्वर्ग से सभी देवी-देवता मैसूर की ओर प्रस्थान कर आये हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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