अली अकबर ख़ाँ

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अली अकबर ख़ाँ
अली अकबर ख़ाँ
अली अकबर ख़ाँ
प्रसिद्ध नाम अली अकबर ख़ाँ
जन्म 14 अप्रैल, 1922
जन्म भूमि शिबपुर, बंगाल
मृत्यु 18 जून, 2009
कर्म-क्षेत्र शास्त्रीय संगीत
पुरस्कार-उपाधि 1971 पद्म भूषण, 1988 पद्म विभूषण
प्रसिद्धि सरोद वादक
विशेष योगदान अली अकबर ख़ाँ के संगीत की जड़ें भारतीय संगीत की हिंदुस्तानी (उत्तरी) परंपरा में जमी हैं।
संबंधित लेख अलाउद्दीन ख़ाँ, पन्नालाल घोष, शिवकुमार शर्मा
अन्य जानकारी अली अकबर ख़ाँ पश्चिमी श्रोताओं के समक्ष भारतीय संगीत प्रस्तुत करने में सक्रिय हैं।
अद्यतन‎

अली अकबर ख़ाँ (अंग्रेज़ी: Ali Akbar Khan) (जन्म- 14 अप्रैल, 1922, शिबपुर, बंगाल और मृत्यु 18 जून, 2009), संगीतकार और माहिर सरोद वादक है। अली अकबर ख़ाँ पश्चिमी श्रोताओं के समक्ष भारतीय संगीत प्रस्तुत करने में सक्रिय हैं। अली अकबर ख़ाँ के संगीत की जड़ें भारतीय संगीत की हिंदुस्तानी (उत्तरी) परंपरा में जमी हैं।

जीवन परिचय

अली अकबर को उनके पिता संगीतकार अलाउद्दीन ख़ाँ ने प्रशिक्षित किया और 14 वर्ष की उम्र में उन्होंने कार्यक्रम देना शुरू कर दिया। वह शीघ्र ही जोधपुर के महाराजा के दरबारी संगीतकार बन गए। 1955 के बाद वायलिन वादक यहूदी मेनुहिन द्वारा उन्हें न्यूयॉर्क के मॉडर्न आर्ट म्यूज़ियम में सरोद वादन का निमंत्रण दिए जाने के उपरांत उन्होंने पश्चिम में कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिनमें बहुधा वह अपने संगीतकार और सितार वादक बहनोई पं. रविशंकर के साथ जुगलबंदी करते थे। संगीतकार के रूप में अली अकबर को उनके फ़िल्म संगीत और कई रागों के रचयिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) (1956) और मरीन काउंटी, कैलिफ़ोर्निया (1967) में संगीत विद्यालय स्थापित किए। इस सरोद वादक का परिवार अपनी वंशावली को मियां तानसेन से जोड़ता है, जो 16वीं सदी के महान संगीतकार और शहंशाह अकबर के दरबारी संगीतज्ञ थे।

सम्मान और पुरस्कार

अली अकबर ख़ां को 1971 में पद्म भूषण और 1988 में पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कार प्रदान किये गए हैं।

निधन

अली अकबर ख़ाँ की मृत्यु 18 जून, 2009 में हुई थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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