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छत्तीसगढ़ के चंपा जांजगीर जिले के अंतर्गत आने वाले इस प्रमुख प्रसिद्ध मन्दिर का नाम है शिवरीनारायण मंदिर महानदी, जोंक नदी एवं शिवनाथ नदी के त्रिवेणी संगम स्थल पर स्थित है यह पावन स्थल जो हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र रहा है. शिवरी नारायण मंदिर के कारण ही यह स्थान छत्तीसगढ़ की जगन्नाथपुरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ है. मान्यता है कि इसी स्थान पर प्राचीन समय पहले भगवान जगन्नाथ जी की प्रतिमा स्थापित रही थी परंतु बाद में इस प्रतिमा को जगन्नाथ पुरी में ले जाया गया था

लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर एक पवित्र धार्मिक तीर्थ स्थल है. मंदिर के संबंध में कहा जाता है कि इसके गर्भगृह में लक्ष्यलिंग विराजमान है यह लिंग लखेश्वर के नाम से विख्यात है कहते हैं इसमें एक लाख लिंग विराजमान हैं शिवलिंग मे एक लाख छिद्र होने के कारण ही इसे, लखेश्वर या लक्षलिंग कहा गया.

इसके साथ ही मान्यता है कि इसमे लक्ष्य छिद्र है जिस कारण इसमें कितना भी जल चढा़या जाए वह समस्त जल इस पातालगामी लक्ष्य छिद्र में समा जाता है. इस मंदिर में सावन मास में श्रावणी पर्व मनाया जाता है इसके साथ ही शिवरात्रि के पावन पर्व में भगवान शिव जी की बारात झांकि स्वरूप निकाली जाती हैं जिसके दर्शनों हेतु दूर-दूर से भक्त लोग यहां पर आते हैं.

मंदिर से प्राचीन शिलालेख भी प्राप्त हुए हैं जिनमें आठवी शताब्दी के शासकों का उल्लेख किया गया है इन शिलालेखों में अनेक मंदिर, मठ आदि के निर्माण के बारे में पता चलता है. जिसके अनुसार राजा खड्गदेव ने इस मंदिर के निर्माण में बहुत कार्य किए. मंदिर में चित्रित कलाकृतियों रामायण से संबंधित चित्रों को उकेरा गया है जैसे बाली वध, राम सुग्रीव मिलन, रावण तथा नटराज की कृति मंदिर के प्रवेश द्वार पर गंगा और यमुना जी की प्रतिमाएं स्थित हैं.

लक्ष्मणोश्वर मन्दिर जसपुर के प्रमुख मन्दिरों में से एक है। हिन्दु पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मन्दिर का निर्माण भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने किया था। इस मन्दिर के प्रति स्थानीय लोगों में बड़ी है और वह पूजा करने के लिए प्रतिदिन यहां आते हैं।


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लक्ष्मणोश्वर मन्दिर

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