रूबी/अभ्यास
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वर्णन | मुक्तेश्वर मन्दिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है। |
स्थान | भुवनेश्वर |
निर्माण काल | 970 ई. |
देवी-देवता | भगवान शिव |
वास्तुकला | कलिंग वास्तुकला |
भौगोलिक स्थिति | 20° 14' 29.70", +85° 51' 6.49" |
संबंधित लेख | हाथीगुम्फ़ा, उदयगिरि, खण्डगिरि, लिंगराज मन्दिर |
अन्य जानकारी | मुक्तेश्वर मन्दिर में नागर शैली और कलिंग वास्तुकला का अद्भूत मेल देखा जा सकता है। मुक्तेश्वर मन्दिर में नक्काशी का बेहतरीन काम किया गया है। |
मुक्तेश्वर मन्दिर भुवनेश्वर के ख़ुर्द ज़िले में स्थित है। मुक्तेश्वर मन्दिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है और यह मन्दिर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मन्दिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है।
स्थापना
परमेश्वर मन्दिर तथा मुक्तेश्वर मन्दिर की स्थापना 970 ई. के आसपास हुई थी। परमेश्वर मन्दिर अभी सुरक्षित अवस्था में है। यह मन्दिर इस क्षेत्र के पुराने मन्दिरों में सबसे आकर्षक है। इसमें आकर्षक चित्रकारी भी की गई है। एक चित्र में एक नर्त्तकी और एक संगीतज्ञ को बहुत अच्छे ढंग से दर्शाया गया है। इस मन्दिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग है। यह शिवलिंग अपने बाद के लिंगराज मन्दिर के शिवलिंग की अपेक्षा ज्यादा चमकीला है।
वास्तु शिल्प
मुक्तेश्वर मन्दिर में नागर शैली और कलिंग वास्तुकला का अद्भूत मेल देखा जा सकता है। मुक्तेश्वर मन्दिर में नक्काशी का बेहतरीन काम किया गया है। इस मन्दिर में की गई चित्रकारी काफी अच्छी अवस्था में है। एक चित्र में कृशकाय साधुओं तथा दौड़ते बंदरों के समूह को दर्शाया गया है। एक अन्य चित्र में पंचतंत्र की कहानी को दर्शाया गया है। इस मन्दिर के दरवाजे आर्क शैली में बने हुए हैं। इस मन्दिर के खंभे पर भी नक्काशी की गई है। इस मन्दिर का तोरण मगरमच्छ के सिर जैसे आकार का बना हुआ है। इस मन्दिर के दायीं तरफ एक छोटा सा कुआं है इसे मरीची कुंड के नाम से भी जाना जाता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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