बिलग्राम
बिलग्राम हरदोई ज़िला, उत्तर प्रदेश का एक कस्बा है। यह कस्बा प्राचीन श्रीनगर या भिल्लग्राम नाम के नगर के खंडहरों पर बसा हुआ है।[1] जनपद हरदोई के सम्बन्ध में एक और आश्चर्यजनक तथ्य बताना चाहता हूं । इस जनपद में ‘विलग्राम‘ नाम का एक उपखंड है जिसके बारे में यह बताया जाता है कि यह मूल रूप से ‘विलग राम‘ शब्द का अपभ्रंश है । ‘विलग राम’ अर्थात राम से विलग रहने वाला। फिलहाल विलग्राम तहसील क्षेत्रान्तरर्गत स्थित साण्डी पक्षी विहार का एक मोहक दृष्य देखें।
विश्व में पक्षियों की लगभग 10000 दस हजार प्रजातियां हैं उनमें से लगभग 1300 प्रजातियां भारत में पायी जाती हैं और उसमें से उत्तर प्रदेश में 550 प्रजातियां पायी जाती हैं इनमें से कुछ प्रजातियां केवल सर्दियों के मौसम में ही दिखलायी पडती हैं वे सामान्यतः प्रवासी पक्षी हैं जैसे पर्पल सनबर्ड जो उत्तर प्रदेश के हृदय स्थल में स्थित हरदोई जनपद के पश्चिमी भाग में स्थित साण्डी पक्षी विहार में दिसम्बर के दूसरे सप्ताह के आसपास दिखलाई पडता है यह रहा पर्पल सनबर्ड
- दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुतमिश के समय में बिलग्राम पर मुस्लिमों का अधिकार हो गया था।
- बिलग्राम में विद्वान मुस्लिमों की पुरानी पंरपरा रही है। इनमें से कई विद्वानों ने हिन्दी में कविताएँ भी लिखी हैं।
- पश्चमध्ययुगीन काल में ऐसे ही कवि मीर जलील हुए, जिन्होंने एक बरवैछंद में अपना परिचय लिखते हुए कहा है-
'बिलग्राम कौ वासी मीर जलील, तुम्हरि सरन गहि गाहै हे निधिशील।'
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 630 |