सती बुर्ज मथुरा

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:43, 14 सितम्बर 2010 का अवतरण (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
सती बुर्ज, मथुरा
Sati Burj, Mathura

मथुरा नगर में जहाँ इस समय विश्राम घाट है, वहाँ मुसलमानी शासन काल में श्मशान था। उस घाट पर हिन्दुओं के शवों का दाहसंस्कार किया जाता था। तीर्थ स्थल होने के कारण अन्य स्थानों के धर्मप्राण हिन्दू भी अपने मृतकों का वहाँ दाहकर्म करने में पुण्य मानते थे। सम्राट अकबर के श्वसुर राजा बिहारीलाल की मृत्यु सं 1570 ई में हुई थी, जिनकी अन्त्येष्ठी मथुरा के विश्राम घाट पर की गई थी। उस समय उनकी रानी भी वहाँ सती हुई थी। उनकी स्मृति में उनके पुत्र राजा भगवान दास ने वहाँ एक स्तंभ निर्माण कराया था, जो 'सती का बुर्ज' कहलाता है। मथुरा की वर्तमान इमारतों में यह सबसे प्रचीन है। यह बुर्ज 55 फीट ऊँचा है, और चौमंज़िला बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है, पहले यह और भी अधिक ऊँचा था; किन्तु इसका ऊपरी भाग ओरंगजेब के काल में गिरा दिया गया था। कालांतर में टूटे भाग की मरम्मत ईंट-चूने से कर दी गई थी। इसके नीचे की मंजिलों में जो खिड़कियाँ, छ्ज्जे तथा महराबें आदि हैं, उन पर बेल-बूँटे, पुष्पावली और विविध पशुओं की आकृतियाँ उत्कीर्ण है। इनसे उस काल के हिन्दू स्थापत्य की एक झांकी मिलती है। इस बुर्ज के समीपवर्ती घाटों पर और भी कई गुम्मजदार पुरानी इमारतें हैं। वे भी कुछ विशिष्ट व्यक्तियों की स्मृति में बनाई गयी होंगी।

वास्तु

यह 55 फ़ीट ऊँची, चारमंज़िला, छरहरी चतुर्भुज इमारत है जिसके ऊपर छोटी गुम्बदनुमा छत है। इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । इसे गुणोत्तर प्रतिरूप की अलंकारिक उत्कीर्ण दीवारों पर बने जानवरों के मूलभाव की नक्कशी द्वारा सुसज्जित किया है । कहा जाता है कि यह उस समय की सबसे ऊँची इमारतों में से एक है । बाद में इसका अनुपयुक्त्त पलस्तर का गुम्बद पूर्व उन्नीसवीं शताब्दी में बनवाया गया ।

वीथिका

संबंधित लेख