फ्राँस
फ़्राँस गणराज्य पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है। पेरिस फ़्राँस की राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। फ़्राँस कई क्षेत्रों और विभागों में विभाजित है। फ़्राँस यूरोपीय संघ का एक संस्थापक सदस्य है। फ़्राँस का क्षेत्रफल किसी भी अन्य सदस्य देश से सबसे ज़्यादा है। फ़्राँस संयुक्त राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य होने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थाई सदस्यों में से एक है। इसकी सीमा बेल्जियम, लक्सेम्बर, जर्मनी, स्विटजरलैंड, इटली, मोनाको, अंडोरा और स्पेन से मिलती है। फ़्राँस की सीमा से लगी हुई दो पर्वत शृंखलाएँ हैं, पूर्व में आल्प्स और दक्षिण में प्रेनिस। फ़्राँस से प्रवाहित होने वाली कई नदियों में से दो नदियाँ प्रमुख हैं, सीन और लोयर। फ़्राँस के उत्तर और पश्चिम में निचली पहाड़ियाँ और नदी घाटियाँ हैं।
इतिहास
फ़्राँस शब्द लातीनी भाषा के फ्रैन्किया से आया है, जिसका अर्थ फ्रांक्स की भूमि या फ्रांकलैंड है। आधुनिक फ़्राँस की सीमा प्राचीन गौल की सीमा के समान ही है। प्राचीन गौल में सेल्टिक गॉल निवास करते थे। गौल पर पहली शताब्दी में रोम के जूलिअस सीज़र ने जीत हासिल की थी। तदोपरांत गौल ने रोमन भाषा और रोमन संस्कृति को अपनाया। ईसाइयत दूसरी शताब्दी और तीसरी शताब्दी में पहुँची और चौथी और पाँचवीं शताब्दी तक स्थापित हो गई। चौथी सदी में जर्मनिक जनजाति, मुख्यतः फ्रैंक्स ने गौल पर कब्ज़ा जमाया। इस से फ़्राँसिस नाम दिखाई दिया। आधुनिक नाम "फ़्राँस" पेरिस के आसपास के फ़्राँस के कापेतियन राजाओं के नाम से आता है। फ्रैंक्स यूरोप की पहली जनजाति थी, जिसने रोमन साम्राज्य के पतन के बाद आरियानिज्म को अपनाने की बजाए कैथोलिक ईसाई धर्म को स्वीकार किया। वर्दन संधि (843) के बाद शारलेमेग्ने का साम्राज्य तीन भागों में विभाजित हो गया। इनमें सबसे बड़ा क्षेत्र पश्चिमी फ़्राँसिया था, जो आज के फ़्राँस के बराबर था। ह्यूग कापेट के फ़्राँस के राजा बनने तक कारोलिंगियन राजवंश ने 987 तक फ़्राँस पर राज किया। उनके वंशजों ने अनेक युद्धों और पूर्वजों की विरासत के साथ देश को एकीकृत किया। 17 वीं सदी और लुई चौदहवें के शासनकाल के दौरान फ़्राँस सबसे अधिक शक्तिशाली था। फ़्राँस के डूप्ले का दुभाषिया आनन्द रंग पिल्लई था। फ़्राँस का एक नौसैनिक अधिकारी काउंत डी एक था। यह फ़्राँस के उस जहाजी बेड़े का कमाण्डर था, जिस पर सवार होकर कर्नाटक में अंग्रेज़ों और फ़्राँसीसियों के बीच हो रहे युद्ध के आख़िरी चरण में 1758 ई. में काउंत दि लाली और फ़्राँसीसी सेना भारत आई थी।
पर्यटन स्थल
पेरिस
पेरिस फ़्रांस देश का सबसे बड़ा शहर और उसकी राजधानी है । इसे दुनिया के सबसे ख़ूबसूरत शहरों में से एक और दुनिया की फ़ैशन और ग्लैमर राजधानी माना जाता है । यहीं पर दुनिया की सबसे मशहूर मीनार आइफ़िल टावर स्थित है ।
एफ़िल टॉवर
एफ़िल टॉवर फ़्राँस की राजधानी पैरिस में स्थित एक लौह टावर है। इसका निर्माण 1887-1889 में शैम्प-दे-मार्स में सीन नदी के तट पर पैरिस में हुआ था। यह टावर विश्व में उल्लेखनीय निर्माणों में से एक और फ़्रांस की संस्कृति का प्रतीक है।
एफ़िल टॉवर के बारे में दो शब्द कहना आवश्यक है। मैं नहीं जानता कि आज एफ़िल टॉवर का क्या उपयोग हो रहा है। प्रदर्शनी में जाने के बाद प्रदर्शनी सम्बन्धी बाते तो पढ़ने में आती ही थी। उसमें उसकी स्तुति भी पढ़ी और निन्दा भी। मुझे याद हैं कि निन्दा करने वालो में टॉल्स्टॉय मुख्य थे। उन्होंने लिखा था कि एफ़िल टॉवर मनुष्य की मूर्खता का चिह्न हैं, उसके ज्ञान का परिणाम नहीं। अपने लेख में उन्होंने बताया था कि दुनिया में प्रचलित कई तरह के नशों में तम्बाकू का व्यसन एक प्रकार से सबसे ज्यादा खराब हैं। कुकर्म करने की जो हिम्मत मनुष्य में शराब पीने से नहीं आती, वह बीड़ी पीने से आती है। शराब पीने वाला पागल हो जाता हैं, जब कि बीडी पीने वाले की अक्ल पर धुँआ छा जाता हैं, और इस कारण वह हवाई क़िले बनाने लगता है। टॉल्स्टॉय ने अपनी यह सम्मति प्रकट की थी कि एफ़िल टॉवर ऐसे ही व्यसन का परिणाम है। एफ़िल टॉवर में सौन्दर्य तो कुछ है ही नहीं। ऐसा नहीं कर सकते कि उसके कारण प्रदर्शनी की शोभा में कोई वृद्धि हुई। एक नई चीज है बडी चीज है, इस लिए हजारों लोग देखने के लिए उस पर चढ़े। यह टॉवर प्रदर्शनी का एक खिलौना था। और जब हम मोहवश हैं तब तक हम भी बालक हैं, यह चीज इस टॉवर से भलीभाँति सिद्ध होती हैं। मानना चाहे तो इतनी उपयोगिता उसकी मानी जा सकती हैं।[1] ---महात्मा गाँधी |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ महात्मा गांधी जीवनी सत्य के प्रयोग से संग्रहित
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