भारतकोश ज्ञान का हिन्दी महासागर
आज का दिन - 28 जनवरी 2025 (भारतीय समयानुसार)
- राष्ट्रीय शाके 1946, 08 गते 15, माघ, मंगलवार
- विक्रम सम्वत् 2081, माघ, कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी, मंगलवार, पूर्वाषाढ़ा
- इस्लामी हिजरी 1446, 27, रजब, मंगल, नआइम
- लाला लाजपत राय (जन्म), के.एम. करिअप्पा (जन्म), विद्यानिवास मिश्र (जन्म), पंडित जसराज (जन्म), भगवत दयाल शर्मा (जन्म), राजेन्द्र शाह (जन्म), सुमन कल्याणपुर (जन्म), राजा रमन्ना (जन्म), बसवराज बोम्मई (जन्म), शेफाली वर्मा (जन्म), ओ. पी. नैय्यर (मृत्यु), सोहराब मोदी (मृत्यु), भारती मुखर्जी (मृत्यु), हंसमुख धीरजलाल सांकलिया (मृत्यु), देवकान्त बरुआ (मृत्यु)
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भारतकोश हलचल
विश्व कैंसर दिवस (04 फ़रवरी) • चौरी-चौरा दिवस (04 फ़रवरी) • आरोग्य सप्तमी (04 फ़रवरी) • पुत्र सप्तमी (04 फ़रवरी) • रथ सप्तमी (04 फ़रवरी) • कुम्भ मेला, तीसरा शाही स्नान (03फ़रवरी) • स्कन्द षष्ठी (03 फ़रवरी) • होली उत्सव प्रारम्भ (मथुरा-वृन्दावन)(02 फ़रवरी) • बसंत पंचमी (02 फ़रवरी) • विनायक चतुर्थी (02 फ़रवरी) • वरद चतुर्थी (01 फ़रवरी) • तटरक्षक दिवस (01 फ़रवरी) • शहीद दिवस (गाँधी जी) (30 जनवरी) • विश्व कुष्ठ रोग दिवस(30 जनवरी) • कुम्भ मेला, द्वितीय शाही स्नान (29 जनवरी) • बीटिंग द रिट्रीट (29 जनवरी) • प्रदोष व्रत (27 जनवरी) • गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) • जम्मू और कश्मीर स्थापना दिवस (26 जनवरी) • राष्ट्रीय बालिका दिवस (24 जनवरी) • सुभाष चंद्र बोस जयंती (23 जनवरी) • पराक्रम दिवस (23 जनवरी) • मणिपुर स्थापना दिवस (21 जनवरी) • त्रिपुरा स्थापना दिवस (21 जनवरी) • मेघालय स्थापना दिवस (21 जनवरी) • गणेश चतुर्थी (17 जनवरी) • थल सेना दिवस (15 जनवरी) • मकर संक्रांति (14 जनवरी) • कुम्भ मेला, प्रथम शाही स्नान (14 जनवरी) • लोहड़ी (13 जनवरी) • कल्पवास प्रारम्भ, प्रयागराज (13 जनवरी) • कुम्भ मेला प्रारम्भ (13 जनवरी)
जन्म
जोगेन्द्र नाथ मंडल (29 जनवरी) • ए. एन. राय (29 जनवरी) • राज्यवर्धन सिंह राठौड़ (29 जनवरी) • लाला लाजपत राय (28 जनवरी) • के. एम. करिअप्पा (28 जनवरी) • विद्यानिवास मिश्र (28 जनवरी) • पंडित जसराज (28 जनवरी) • राजेन्द्र शाह (28 जनवरी) • भगवत दयाल शर्मा (28 जनवरी) • सुमन कल्याणपुर (28 जनवरी) • प्रतापसिंह राणे (28 जनवरी) • राजा रमन्ना (28 जनवरी) • शेफाली वर्मा (28 जनवरी) • बसवराज बोम्मई (28 जनवरी)
मृत्यु
जॉर्ज फ़र्नांडिस (29 जनवरी) • सरला ग्रेवाल (29 जनवरी) • महाराणा प्रताप (29 जनवरी) • पीलू मोदी (29 जनवरी) • बाबा इकबाल सिंह (29 जनवरी) • मोहम्मद अल्वी (29 जनवरी) • अरविंद जोशी (29 जनवरी) • राम निवास मिर्धा (29 जनवरी) • ओ. पी. नैय्यर (28 जनवरी) • सोहराब मोदी (28 जनवरी) • हंसमुख धीरजलाल सांकलिया (28 जनवरी) • देवकान्त बरुआ (28 जनवरी) • भारती मुखर्जी (28 जनवरी)
भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी
यह एक तरह की ध्यानावस्था ही है। यह एक ऐसा ध्यान है जो किया नहीं जाता या धारण नहीं करना होता बल्कि स्वत: ही धारित हो जाता है... बस लग जाता है। मनोविश्लेषण की पुरानी अवधारणा के अनुसार कहें तो अवचेतन मस्तिष्क (सब कॉन्शस) में कहीं स्थापित हो जाता है। दिमाग़ में बादाम जितने आकार के दो हिस्से, जिन्हें ऍमिग्डाला (Amygdala) कहते हैं, कुछ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। ये दोनों कभी-कभी दिमाग़ को अनदेखा कर शरीर के किसी भी हिस्से को सक्रिय कर देते हैं। असल में इनकी मुख्य भूमिका संवेदनात्मक आपातकालिक संदेश देने की होती है। इस तरह की ही कोई प्रणाली संभवत: अवचेतन के संदेशों के निगमन को संचालित करती है। ऍमिग्डाला की प्रक्रिया को 'डेनियल गोलमॅन' ने अपनी किताब इमोशनल इंटेलीजेन्स में बहुत अच्छी तरह समझाया है। ...पूरा पढ़ें
पिछले सभी लेख → | सफलता का शॉर्ट-कट -आदित्य चौधरी | शहीद मुकुल द्विवेदी के नाम पत्र | शर्मदार की मौत |
एक आलेख
संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें
पिछले आलेख → | राष्ट्रपति | रसखान की भाषा | मौर्य काल |
एक व्यक्तित्व
महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को हिन्दी यात्रा साहित्य का जनक माना जाता है। वे एक प्रतिष्ठित बहुभाषाविद थे और 20वीं सदी के पूर्वार्द्ध में उन्होंने यात्रा वृतांत तथा विश्व-दर्शन के क्षेत्र में साहित्यिक योगदान किए। बौद्ध धर्म पर उनका शोध हिन्दी साहित्य में युगान्तरकारी माना जाता है, जिसके लिए उन्होंने तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक भ्रमण किया था। बौद्ध धर्म की ओर जब झुकाव हुआ तो पाली, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, एवं सिंहली भाषाओं की जानकारी लेते हुए सम्पूर्ण बौद्ध ग्रन्थों का मनन किया और सर्वश्रेष्ठ उपाधि 'त्रिपिटिका चार्य' की पदवी पायी। साम्यवाद के क्रोड़ में जब राहुल जी गये तो कार्ल मार्क्स, लेनिन तथा स्तालिन के दर्शन से पूर्ण परिचय हुआ। प्रकारान्तर से राहुल जी इतिहास, पुरातत्त्व, स्थापत्य, भाषाशास्त्र एवं राजनीति शास्त्र के अच्छे ज्ञाता थे। ... और पढ़ें
पिछले लेख → | पण्डित ओंकारनाथ ठाकुर | जे. आर. डी. टाटा | आर. के. लक्ष्मण |
कबड्डी एक सामूहिक खेल है, जो प्रमुख रूप से भारत में खेला जाता है। कबड्डी नाम का प्रयोग प्राय: उत्तर भारत में किया जाता है, इस खेल को दक्षिण भारत में चेडु-गुडु और पूरब में हु तू तू के नाम से भी जानते हैं। भारत के साथ पड़ोसी देशों में भी कबड्डी बड़े पैमाने पर खेली जाती है। विभिन्न क्षेत्रों में इसके अलग-अलग नाम हैं। बांग्लादेश में हा-दो-दो; श्रीलंका में गुड्डु और थाईलैंण्ड में थीचुब। यद्यपि यह खेल थोड़ी भिन्नता के साथ खेला जाता है, पर शत्रु क्षेत्र में आक्रमण का मूलतंत्र सभी में समान रहता है। ...और पढ़ें
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नर्मदा नदी भारत के मध्यभाग में पूरब से पश्चिम की ओर बहने वाली एक प्रमुख नदी है, जो गंगा के समान पूजनीय है। नर्मदा का उद्गम विंध्याचल की मैकाल पहाड़ी शृंखला में अमरकंटक नामक स्थान में है। मैकाल से निकलने के कारण नर्मदा को 'मैकाल कन्या' भी कहते हैं। स्कंद पुराण में इस नदी का वर्णन 'रेवा खंड' के अंतर्गत किया गया है। कालिदास के ‘मेघदूतम्’ में नर्मदा को 'रेवा' का संबोधन मिला है, जिसका अर्थ है- पहाड़ी चट्टानों से कूदने वाली। अमरकंटक में सुंदर सरोवर में स्थित शिवलिंग से निकलने वाली इस पावन धारा को 'रुद्र कन्या' भी कहते हैं, जो आगे चलकर नर्मदा नदी का विशाल रूप धारण कर लेती हैं। पवित्र नदी नर्मदा के तट पर अनेक तीर्थ हैं, जहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इनमें कपिलधारा, शुक्लतीर्थ, मांधाता, भेड़ाघाट, शूलपाणि, भड़ौंच उल्लेखनीय हैं। अमरकंटक की पहाड़ियों से निकल कर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर नर्मदा क़रीब 1310 किमी का प्रवाह पथ तय कर भरौंच के आगे खंभात की खाड़ी में विलीन हो जाती है। ... और पढ़ें |
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
महत्त्वपूर्ण आकर्षण
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ब्रज डिस्कवरी पर हम आपको एक ऐसी यात्रा का भागीदार बनाना चाहते हैं जिसका रिश्ता ब्रज के इतिहास, संस्कृति, समाज, पुरातत्व, कला, धर्म-संप्रदाय, पर्यटन स्थल, प्रतिभाओं आदि से है।
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