प्रकृतिपुरुष व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र शुक्ल प्रथमा को उपवास और दूसरे दिन पुरुषसूक्त[1] के साथ पुष्पों आदि से अग्नि पूजा की जाती है।
- पुरुष एवं प्रकृति को अग्नि एवं सोम के अनुरूप माना गया है और वे ही वासुदेव एवं लक्ष्मी हैं।
- श्रीसूक्त के साथ लक्ष्मी जी का व्रत किया जाता है।
- सोने, चाँदी एवं ताम्र का दान दिया जाता है।
- कर्ता को केवल दूध एवं घृत खाना चाहिए।
- यह व्रत एक वर्ष तक करने से सभी कामनाओं की पूर्ति एवं मुक्ति की प्राप्ति होती है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
सम्बंधित लिंक
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