कहावत लोकोक्ति मुहावरे-क
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कहावत लोकोक्ति मुहावरे | अर्थ |
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1- काग घोंसला मारिये, मसि भींजत परिहार। |
अर्थ - कौआ, परिहार, जाट और खंगार ये चारों चतुर और चालक दुश्मन होते हैं। अगर इनसे दुश्मनी हो जाए तो कौए को उसके घोंसले में, राजपूत को मूंछ निकलने से पहले , जाट को जब भी अवसर मिले और खंगार(जाति) को जब वह बच्चा हो,घुटनों चलता हो, तब ही मार देना चाहिए अन्यथा देर हो जाएगी। |
2- कहे कबीर जमाना छानियाँ, भक्त ना देखे सुनार बानियाँ। |
अर्थ - कबीरदास जी कहते हैं कि पूरी दुनिया देख ली पर सुनार और बनिया लोग कभी भक्त नहीं होते। |
3- काठ की हंडी बार बार नहीं चढ़ती। |
अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं। |
4- कंगाली में आटा गीला। |
अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना। |
5- कहने से कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता। |
अर्थ - स्वयं को अक्लमंद समझने वाला किसी को कुछ नहीं मानता। |
6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो। |
अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी। |
7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।। |
अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए। |
8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।। |
अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात वह धान उपजता है। |
9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। |
अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। |
10- कंगाली में आटा गीला। |
अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना। |
11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती। |
अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है। |
12- कचहरी का दरवाजा खुला है। |
अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए। |
13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा। |
अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना। |
14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी। |
अर्थ - उलटी बात करना। |
15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है । |
अर्थ - मरणासन्न । |
16- कभी दिन बड़े कभी रात। |
अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते। |
17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर। |
अर्थ - हालात बदलते रहते हैं। |
18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता। |
अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते। |
19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती। |
अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए। |
20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान |
अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी। |
21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया। |
अर्थ - |
22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े। |
अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम खराब होता रहता है। |
23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम। |
अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए। |
24- कर सेवा तो खा मेवा। |
अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है। |
25- करे कोई भरे कोई। |
अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे। |
26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला। |
अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है। |
27- कल किसने देखा है। |
अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है। |
28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है। |
अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा। |
29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता। |
अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता। |
30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय। |
अर्थ - उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती। |
31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। |
अर्थ - बेमेल चीजें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना। |
32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है। |
अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता। |
33- कहें खेत की, सुने खलिहान की। |
अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया। |
34- कागज़ की नाव नहीं चलती। |
अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती। |
35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय, एक लीक काजल की लगि है सो लागि है। |
अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है। |
36- काज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से। |
अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना। |
37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है। |
अर्थ - धोखेबाजी हर बार नहीं चल सकती है। |
38- कान में तेल डाले बैठे हैं। |
अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं। |
39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का। |
अर्थ - निकम्मा आदमी। |
40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते। |
अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है। |
41- काम को काम सिखाता है। |
अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है। |
42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान, काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक। |
अर्थ - मृत्यु सब को आती है। |
43- काला अक्षर भैंस बराबर। |
अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना। |
44- काली के ब्याह को सौ जोखो। |
अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं। |
45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान। |
अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती। |
46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है। |
अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है। |
47- किसी का घर जले कोई तापे। |
अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना। |
48- कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता। |
अर्थ - कोई अपने माल को खराब नहीं बताता। |
49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है। |
अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है। |
50- कुतिया चोरों से मिल जाए तो पहरा कौन दे। |
अर्थ - जब रक्षक ही बेईमान हो जाए तो क्या रास्ता है ? |
51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है। |
अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है। |
52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। |
अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता। |
53- कुत्ते को घी नहीं पचता। |
अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है। |
54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते। |
अर्थ - महापुरुष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं। |
55- कुम्हार अपना ही घड़ा सराहता है। |
अर्थ - हर कोई अपनी वस्तु की प्रशंसा करता है। |
56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय। |
अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता। |
57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे। |
अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता। |
58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत। |
अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है। |
59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे। |
अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है। |
60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ। |
अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है। |
61- कोयलों की दलाली में हाथ काले। |
अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है। |
62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर। |
अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया। |
63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं। |
अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती। |
64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। |
अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है। |
65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। |
अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है। |
66- का वर्षा जब कृषि सुखानी। |
अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है। |
67- कच्ची गोली नहीं खेलना। |
अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना। |
68- कट जाना। |
अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना। |
69- कटे पर नमक छिड़कना। |
अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना। |
70- कढ़ी का सा उबाल। |
अर्थ - मामूली से जोश में आना। |
71- क़दम उखड़ना। |
अर्थ - भाग खड़े होना। |
72- कन्नी काटना। |
अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना। |
73- कमर कसना। |
अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना। |
74- कलम का धनी। |
अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना। |
75- कलम तोड़ना। |
अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना। |
76- कली खिलना। |
अर्थ - बहुत खुश होना। |
77- कलेजा ठंडा होना। |
अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना। |
78- कलेजा धक से रह जाना। |
अर्थ - डर जाना, घबरा जाना। |
79- कलेजा मुँह को आना। |
अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना। |
80- कलेजा का टुकड़ा। |
अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना। |
81- कलेजे पर साँप लोटना। |
अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना। |
82- कहा-सुनी होना। |
अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना। |
83- काँटा दूर होना। |
अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना। |
84- काँटे बिछाना। |
अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना। |
85- काँटों पर लेटना। |
अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना। |
86- काँटों पर घसीटना। |
अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना। |
87- कागजी घोड़े दौड़ाना। |
अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना। |
88- काजल की कोठरी। |
अर्थ - कलंक लगने का स्थान। |
89- काठ का उल्लू। |
अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना। |
90- काठ मार जाना। |
अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना। |
91- कान कतरना। |
अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना। |
92- कान खड़े होना। |
अर्थ - चौकन्ना होना। |
93- कान खोलना। |
अर्थ - सावधान कर देना। |
94- कान गरम करना। |
अर्थ - पिटाई करना। |
95- कान देना। |
अर्थ - ध्यान से सुनना। |
96- कान पकड़ना। |
अर्थ - ग़लती मान लेना। |
97- कान पर जूँ तक न रेंगना। |
अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। |
98- कान भरना। |
अर्थ - चुगली करना। |
99- कान में बात डाल देना। |
अर्थ - सुना देना, कह देना। |
100- कान में तेल डालकर बैठना। |
अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। |
101- कान में फूँकना। |
अर्थ - चुपचाप से कह देना। |
102- कान लगाना। |
अर्थ - ध्यान देकर सुनना। |
103- काफूर होना। |
अर्थ - गायब हो जाना। |
104- काम आना। |
अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना। |
105- काम तमाम करना। |
अर्थ - मार डालना। |
106- काया पलट जाना। |
अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। |
107- काल कवलित होना। |
अर्थ - मर जाना। |
108- काल के गाल में जाना। |
अर्थ - मर जाना। |
109- काला नाग। |
अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । |
110- काला मुँह करना। |
अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना। |
111- काले कोसों। |
अर्थ - बहुत दूर। |
112- क़िताबी कीड़ा होना। |
अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। |
113- किरकिरी हो जाना। |
अर्थ - विघ्न पड़ना। |
114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। |
अर्थ - किसी भी काम का न होना। |
115- क़िस्मत फूटना। |
अर्थ - बुरे दिन आना। |
116- कीचड़ उछालना। |
अर्थ - निंदा करना। |
117- कुआँ खोदना। |
अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना। |
118- कुएँ में गिरना। |
अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। |
119- कुएँ में भाँग पड़ना। |
अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। |
120- कुछ उठा न रखना। |
अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। |
121- कुत्ते की दुम। |
अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। |
122- कुत्ते की मौत मरना। |
अर्थ - बुरी तरह मरना। |
123- कूच कर जाना। |
अर्थ - चले जाना। |
124- कूप मंडूक होना। |
अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। |
125- कोई दम भर का मेहमान होना। |
अर्थ - मरने के क़रीब होना। |
126- कोढ़ में खाज होना। |
अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। |
127- कोर दबना। |
अर्थ - दबाव में होना। |
128- कोल्हू का बैल। |
अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। |
129- कौए उड़ाना। |
अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। |
130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। |
अर्थ - कंजूस होना। |
131- कंधे से कंधा छिलना। |
अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। |
132- ककड़ी-खीरा समझना। |
अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। |
133- कच्चा चिट्ठा खोलना। |
अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |