चित्र:Gopaldas-Neeraj.jpg
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दिनांक/समय | अंगुष्ठ नखाकार (थंबनेल) | आकार | सदस्य | टिप्पणी | |
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वर्तमान | 09:20, 15 मई 2011 | 869 × 768 (644 KB) | गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) |
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चित्र का उपयोग
69 ये पृृष्ठ इस चित्र का इस्तेमाल करते हैं:
- अंतिम बूँद -गोपालदास नीरज
- अंधियार ढल कर ही रहेगा -गोपालदास नीरज
- अब तुम रूठो -गोपालदास नीरज
- अब तुम्हारा प्यार भी -गोपालदास नीरज
- अब तो मज़हब -गोपालदास नीरज
- अब बुलाऊँ भी तुम्हें -गोपालदास नीरज
- अभी न जाओ प्राण! -गोपालदास नीरज
- आज मदहोश हुआ जाए रे -गोपालदास नीरज
- आदमी को प्यार दो -गोपालदास नीरज
- एक तेरे बिना प्राण ओ प्राण के -गोपालदास नीरज
- ओ हर सुबह जगाने वाले -गोपालदास नीरज
- कारवां गुज़र गया -गोपालदास नीरज
- कितनी अतृप्ति है -गोपालदास नीरज
- कितने दिन चलेगा? -गोपालदास नीरज
- किसलिए आऊं तुम्हारे द्वार? -गोपालदास नीरज
- खग ! उडते रहना जीवन भर! -गोपालदास नीरज
- खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की -गोपालदास नीरज
- गोपालदास नीरज
- चलते-चलते थक गए पैर -गोपालदास नीरज
- छिप-छिप अश्रु बहाने वालों -गोपालदास नीरज
- छीन ली नींद भी मेरे नयन की -गोपालदास नीरज
- जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला -गोपालदास नीरज
- जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना -गोपालदास नीरज
- जीवन जहाँ -गोपालदास नीरज
- तन की हवस -गोपालदास नीरज
- तब मेरी पीड़ा अकुलाई! -गोपालदास नीरज
- तिमिर ढलेगा -गोपालदास नीरज
- तुम झूम झूम गाओ -गोपालदास नीरज
- तुम दीवाली बन कर -गोपालदास नीरज
- तुम ही नहीं मिले जीवन में -गोपालदास नीरज
- तुमने कितनी निर्दयता -गोपालदास नीरज
- तुम्हारे बिना आरती का दीया यह -गोपालदास नीरज
- दिया जलता रहा -गोपालदास नीरज
- दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था -गोपालदास नीरज
- दो गुलाब के फूल छू गए जब से होठ अपावन मेरे -गोपालदास नीरज
- धरा को उठाओ, गगन को झुकाओ -गोपालदास नीरज
- नारी -गोपालदास नीरज
- नींद भी मेरे नयन -गोपालदास नीरज
- नीरज गा रहा है -गोपालदास नीरज
- पिया दूर है न पास है -गोपालदास नीरज
- पीर मेरी, प्यार बन जा ! -गोपालदास नीरज
- प्यार की कहानी चाहिए -गोपालदास नीरज
- प्रेम-पथ हो न सूना -गोपालदास नीरज
- प्रेम का न दान दो -गोपालदास नीरज
- बन्द करो मधु की -गोपालदास नीरज
- बसंत की रात -गोपालदास नीरज
- बहार आई -गोपालदास नीरज
- बेशरम समय शरमा ही जाएगा -गोपालदास नीरज
- मगर निठुर न तुम रुके -गोपालदास नीरज
- मधुपुर के घनश्याम -गोपालदास नीरज
- मानव कवि बन जाता है -गोपालदास नीरज
- मुझको याद किया जाएगा -गोपालदास नीरज
- मुस्कुराकर चल मुसाफिर -गोपालदास नीरज
- मेरा इतिहास नहीं है -गोपालदास नीरज
- मेरा गीत दिया बन जाए -गोपालदास नीरज
- मैं अकंपित दीप -गोपालदास नीरज
- मैं तुम्हें अपना -गोपालदास नीरज
- मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं -गोपालदास नीरज
- यदि मैं होता घन सावन का -गोपालदास नीरज
- लेकिन मन आज़ाद नहीं है -गोपालदास नीरज
- विश्व चाहे या न चाहे -गोपालदास नीरज
- साँसों के मुसाफिर -गोपालदास नीरज
- सेज पर साधें बिछा लो -गोपालदास नीरज
- स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से -गोपालदास नीरज
- है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिये -गोपालदास नीरज
- भारतकोश:भारत कोश हलचल/18 जुलाई
- भारतकोश:भारत कोश हलचल/19 जुलाई
- भारतकोश:भारत कोश हलचल/3 जनवरी
- भारतकोश:भारत कोश हलचल/4 जनवरी