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कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

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कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ

1- टके का सब खेल है।

अर्थ - पैसा सब कुछ करता है।

2- टका सा जवाब देना।

अर्थ - साफ़ इंकार करना।

3- टका सा मुँह लेकर रह जाना।

अर्थ - लज्जित हो जाना।

4- टटिया की आड़ में शिकार खेलना।

अर्थ - छिपकर किसी के विरूद्ध कुछ करना, आड़ लेकर काम करना।

5- टट्टू पार होना।

अर्थ - काम निकल जाना।

6- टाँग अड़ाना।

अर्थ - बाधा पैदा करना।

7- टाँग तले से निकलना।

अर्थ - हार मनवाना।

8- टाँय-टाँय फिस होना।

अर्थ - काम बिगड़ जाना।

9- टाट उलटना।

अर्थ - दीवाला निकलना।

10- टेढ़ी खीर।

अर्थ - कठिन काम।

11- जब तक जीना तब तक सीना।

अर्थ - जीते-जी कोई न कोई काम करना पड़ता है।

12- जब तक साँस तब तक आस।

अर्थ - अंत समय तक उम्मीद बनी रहती है।

13- जबरदस्ती का ठेंगा सिर पर।

अर्थ - जबरदस्ती आदमी दबाव डाल कर काम लेता है ।

14- जबरा मारे रोने न दे।

अर्थ - जवरदस्त आदमी का अत्याचार चुपचाप सहना पड़ता है।

15- ज़बान को लगाम चाहिए।

अर्थ - सोच-समझकर बोलना चाहिए।

16- ज़बान ही हाथी चढ़ाए, ज़बान ही सिर कटाए।

अर्थ - मीठी बोली से आदर और कड़वी बोली से निरादर होता है।

17- ज़र का ज़ोर पूरा है, और सब अधूरा है।

अर्थ - धन सबसे बलवान है।

18- ज़र है तो नर, नहीं तो खंडहर।

अर्थ - पैसे से ही आदमी का सम्मान है।

19- जल में रहकर मगर से बैर।

अर्थ - जहाँ रहना हो वहाँ के मुखिया से बैर ठीक नहीं होता ।

20- जस दूल्हा तस बनी बराता।

अर्थ - जैसे आप वैसे साथी।

21- जहं जहं चरण पड़े संतन के, तहं तहं बंटाधार।

अर्थ - अभागा व्यक्ति जहाँ जाता है, बुरा होता है।

22- जहाँ गुड़ होगा, वहीं मक्खियाँ होंगी।

अर्थ - आकर्षक जगह पर लोग जमा होते हैं।

23- जहाँ चार बासन होगें, वहाँ खटकेगें भी।

अर्थ - जहाँ कुछ व्यक्ति होते है वहाँ कभी-कभी झगड़ा हो ही जाता है।

24- जहाँ चाह वहाँ राह।

अर्थ - इच्छा हो तो काम करने का रास्ता निकल ही आता है।

25- जहाँ देखे तवा परात, वहीं गुजारी सारी रात।

अर्थ - जहाँ कुछ प्राप्ति होती हो, वहाँ लालची आदमी जम जाता है।

26- जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि।

अर्थ - कवि अपनी कल्पना से सब जगह पहुँच जाता है।

27- जहाँ फूल वहाँ काँटा।

अर्थ - अच्छाई के साथ बुराई भी लगी होती है।

28- जहाँ मुर्गा नहीं होता क्या वहाँ सवेरा नहीं होता।

अर्थ - किसी के बिना काम रुकता नहीं है।

29- जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई।

अर्थ - दु:ख को भुक्ता भोगी ही जानता है उसे अन्य कोई नहीं जान सकता है।

30- जागेगा सो पावेगा,सोवेगा सो खोएगा।

अर्थ - लाभ इसमें है कि आदमी सतर्क रहे।

31- जादू वह जो सिर पर चढ़कर बोले।

अर्थ - असरदार आदमी की बात माननी ही पड़ती है।

32- जान मारे बनिया पहचान मारे चोर।

अर्थ - बनिया और चोर जान पहचान वालों को भी ठगते हैं।

33- जाएं लाख, रहे साख।

अर्थ - धन भले ही चला जाए, इज्जत बचनी चाहिए।

34- जितना गुड़ डालो, उतना ही मीठा।

अर्थ - जितना खर्चा करोगे चीज़ उतनी ही अच्छी मिलेगी।

35- जितनी चादर देखो, उतने ही पैर पसारो।

अर्थ - आमदनी के हिसाब से खर्च करो।

36- जितने मुँह उतनी बातें।

अर्थ - अनेक प्रकार की अफवाहें।

37- जिन खोजा तिन पाइयाँ, गहरे पानी पैंठ।

अर्थ - जितना कठिन परिश्रम उतना ही लाभ होता है।

38- जिस तन लगे वही तन जाने।

अर्थ - जिसको कष्ट होता है वही उसका अनुभव कर सकता है।

39- जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना।

अर्थ - जो उपकार करे, उसका ही अहित करना।

40- जिसका काम उसी को साजै।

अर्थ - जो काम जिसका है वही उसे भली प्रकार से कर सकता है।

41- जिसका खाइए उसका गाइए।

अर्थ - जिससे लाभ हो उसी का पक्ष लो।

42- जिसकी जूती उसी के सिर।

अर्थ - जिसकी करनी उसी को फल मिलता है।

43- जिसकी लाठी उसी की भैंस।

अर्थ - शक्ति संपन्न आदमी का रौब चलता है और वह अपना काम बना लेता है।

44- जिसके ह‍ाथ डोई, उसका सब कोई।

अर्थ - धनी आदमी के सब मित्र हैं।

45- जिसको पिया चाहे, वहीं सुहागिन।

अर्थ - जिसको अफ़सर माने,वहीं योग्य है।

46- जी का बैरी जी।

अर्थ - मनुष्य ही मनुष्य का शत्रु है।

47- जीभ भी जली और स्वाद भी न आया।

अर्थ - कष्ट सहकर भी सुख न मिला।

48- जूँ के डर से गुदड़ी नहीं फेंकी जाती

अर्थ - थोड़ी सी कठिनाई के कारण कोई काम छोड़ा नहीं जाता।

49- जुठा खाए, मीठे के लालच।

अर्थ - लाभ के लालच में नीच काम करना।

50- जैसा करोगे वैसा भरोगे, जैसा बोओगे वैसा काटोगे।

अर्थ - अपनी करनी का फल मिलता है।

51- जैसा मुँह वैसा थप्पड़।

अर्थ - जो जिसके योग्य हो उसको वही मिलता है।

52- जैसा राजा वैसी प्रजा।

अर्थ - जैसा मालिक होता है वैसे ही कर्मचारी होते हैं।

53- जैसे तेरी कोमरी, वैसे मेरे गीत।

अर्थ - जैसा दोगे वैसा पाओगे।

54- जैसे कंता घर रहे वैसे रहे परदेश।

अर्थ - निकम्‍मा आदमी घर में रहे या बाहर कोई अंतर नहीं।

55- जैसे नागनाथ वैसे साँपनाथ।

अर्थ - सबका एक जैसा होना।

56- जैसे मियाँ काइ का वैसे सन की दाढ़ी।

अर्थ - ठीक मेल है।

57- जो गरजते हैं वो बरसते नहीं।

अर्थ - बहुत डींग हाँकने वाले काम के नहीं होते हैं।

58- जोगी का बेटा खेलेगा तो साँप से।

अर्थ - बाप का प्रभाव बेटे पर पड़ता है।

59- जो गुड़ खाए सो कान छिदवाए।

अर्थ - लाभ पाने वाले को कष्ट सहना ही पड़ता है।

60- जो तोको काँटा बुवे ताहि बोइ तू फूल।

अर्थ - बुराई का बदला भी भलाई से दो।

61- जो बोले सो घी को जाए।

अर्थ - ज्यादा बोलना अच्छा नहीं होता।

62- जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा।

अर्थ - जो मन में है वह प्रकट होगा ही।

63- ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों -त्यों भारी होय

अर्थ - जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं।

64- ज्यों नकटे को आरसी होत दिखाई क्रोध।

अर्थ - दोषी को उसका दोष बताया जाए तो क्रुद्ध होता है।

65- जो सुख चौबारे, न बखल न बुखारे।

अर्थ - अपना घर दूर से सूझता है।

66- जंगल में मंगल होना।

अर्थ - उजाड़ में चहल-पहल होना।

67- जड़ों में मट्ठा ड़ालना / तेल देना / जड़ खोदना / जड़ काटना।

अर्थ - समूल नष्ट करना।

68- ज़बान काट कर देना।

अर्थ - वादा करना।

69- ज़बान पर चढ़ना।

अर्थ - याद आना।

70- ज़बान पर लगाम न होना।

अर्थ - बेमतलब बोलते जाना।

_ 71- ज़मीन आसमान एक करना।

अर्थ - सब उपाय कर डालना।

72- ज़मीन आसमान का फर्क।

अर्थ - बहुत भारी अंतर होना।

73- ज़मीन पर पैर न रखना।

अर्थ - अकड़कर चलना, इतराना।

74- ज़मीन में गड़ना।

अर्थ - लज्जा से सिर नीचा होना।

75- जलती आग में घी डालना।

अर्थ - और भड़काना।

76- जली-कटी सुनाना।

अर्थ - बुरा-भला कहना।

77- ज़हर उगलना।

अर्थ - कड़वी बातें कहना।

78- ज़हर की पुडि़या।

अर्थ - झगड़ालू औरत।

79- ज़हाज का पंछी।

अर्थ - जिसका कोई ठिकाना नहीं हो।

80- जान के लाले पड़ना।

अर्थ - संकट में पड़ना।

81- जान पर खेलना।

अर्थ - जान की बाजी लगाना।

82- जान में जान आना।

अर्थ - चैन, सकून मिलना।

83- जान से हाथ धोना बैठना।

अर्थ - मारा जाना।

84- जान हथेली पर रखना।

अर्थ - जान की परवाह न करना।

85- जामे से बाहर होना।

अर्थ - अत्यधिक क्रुद्ध होना।

86- जी का जंजाल।

अर्थ - व्यर्थ का झंझट।

87- जी खट्टा होना।

अर्थ - विरक्ति होना।

88- जी चुराना।

अर्थ - काम करने से कतराना।

89- जीते जी मक्खी निगलना।

अर्थ - जी पर बन आना।

90- जी भर आना।

अर्थ - दु:खी होना।

91- जूतियों में दाल बाँटना।

अर्थ - लड़ाई- झगड़ा होना।

92- जूते चाटना।

अर्थ - चापलूसी करना।

93- जोड़-तोड़ करना।

अर्थ - उपाय करना।

|94- कान गरम करना। | अर्थ - पिटाई करना। |- |95- कान देना। | अर्थ - ध्यान से सुनना। |- |96- कान पकड़ना। | अर्थ - गलती मान लेना। |- |97- कान पर जूँ तक न रेंगना। | अर्थ - कुछ भी परवाह न करना। |- |98- कान भरना। | अर्थ - चुगली करना। |- |99- कान में बात डाल देना। | अर्थ - सुना देना, कह देना। |- |100- कान में तेल डालकर बैठना। | अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना। |- |101- कान में फूँकना। | अर्थ - चुपचाप से कह देना। |- |102- कान लगाना। | अर्थ - ध्यान देकर सुनना। |- |103- काफूर होना। | अर्थ - गायब हो जाना। |- |104- काम आना। | अर्थ - शत्रु के हाथों मारा जाना। |- |105- काम तमाम करना। | अर्थ - मार डालना। |- |106- काया पलट जाना। | अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना। |- |107- काल कवलित होना। | अर्थ - मर जाना। |- |108- काल के गाल में जाना। | अर्थ - मर जाना। |- |109- काला नाग। | अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति । |- |110- काला मुँह करना। | अर्थ - बदनामी करना, नाम खराब करना। |- |111- काले कोसों। | अर्थ - बहुत दूर। |- |112- क़िताबी कीड़ा होना। | अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना। |- |113- किरकिरी हो जाना। | अर्थ - विघ्न पड़ना। |- |114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। | अर्थ - किसी भी काम का न होना। |- |115- किस्मत फूटना। | अर्थ - बुरे दिन आना। |- |116- कीचड़ उछालना। | अर्थ - निंदा करना। |- |117- कुआँ खोदना। | अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना। |- |118- कुएँ में गिरना। | अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना। |- |119- कुएँ में भाँग पड़ना। | अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना। |- |120- कुछ उठा न रखना। | अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना। |- |121- कुत्ते की दुम। | अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना। |- |122- कुत्ते की मौत मरना। | अर्थ - बुरी तरह मरना। |- |123- कूच कर जाना। | अर्थ - चले जाना। |- |124- कूप मंडूक होना। | अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना। |- |125- कोई दम भर का मेहमान होना। | अर्थ - मरने के क़रीब होना। |- |126- कोढ़ में खाज होना। | अर्थ - दु:ख में और दु:ख होना। |- |127- कोर दबना। | अर्थ - दबाव में होना। |- |128- कोल्हू का बैल। | अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला। |- |129- कौए उड़ाना। | अर्थ - घटिया या छोटे काम करना। |- |130- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। | अर्थ - कंजूस होना। |- |131- कंधे से कंधा छिलना। | अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है। |- |132- ककड़ी-खीरा समझना। | अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना। |- |133- कच्चा चिट्ठा खोलना। | अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना। |- |} 228 - देखकर मक्खी नहीं निगली जाती, `अर्थ - कहावत - अहित सामने देखकर चुप नहीं रहा जाता। |}