छलितक योग कला
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एककलाहै। रूप और बोली छिपाना की कला। अनेक प्रकार के रूपों का आविर्भाव करने का ज्ञान 'कला' है। इसीकलाका उपयोग हनुमान जी ने श्रीरामचन्द्रजी के साथ पहली बार मिलने के समय ब्राह्मण-वेश धारण करने में किया था।