तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-2

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  • तप के बाद उन्हें बोध हुआ कि 'अन्न' ही ब्रह्म है; क्योंकि अन्न से ही जीवन है और अन्न के न मिलने से मृत्यु को प्राप्त जीव अन्न (पृथ्वी) में ही समा जाता है।
  • उनके पिता वरुण ने भी उनकी सोच का समर्थन किया, किन्तु अभी और सोचने के लिए कहा।
  • तप से ही 'ब्रह्म' को जाना जा सकता है।


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