लाल सागर
भारतीय महासागर का वह अंश जो अरब और अफ्रीका के मध्य में पड़ता है, और जो 'बाव' एल 'मंदव' से स्वेज तक फैला हुआ है, लाल समुद्र कहलाता है। 'ट्राइकोडेस्मियम इरीथीयम' नामक हरी - नीली शैवाल लाल सागर में जल के ऊपर तैरती है और यह सागर को लाल रंग प्रदान करती है। इसी कारण से सागर को लाल सागर (Red sea) कहते है।[1] यह सागर प्रायः 1400 मील (लगभग 2250 किलोमीटर) लंबा है, इसकी अधिक से अधिक चौड़ाई 230 मील (लगभग 355 किलोमीटर) और समुद्री विस्तार की औसत गहराई 490 मीटर है। इसके किनारों पर बहुत से छोटे छोटे टापू और प्रवालद्वीप हैं, जिनके कारण जहाजों को इसमें से होकर आने जाने में बहुत कठिनता होती है। पहले यह भूमध्यसागर से अलग था, पर स्वेज की नहर खुद जाने से यह उससे मिल गया है।
- ग्रंथों में उल्लेख
मिस्र, अरब और इज़राइल को पृथक करने वाले इस सागर को बाइबिल और 'हिब्रू' ग्रंथों में वर्णित 'सागर' माना जाता है।
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