मनोहर जोशी
मनोहर जोशी
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पूरा नाम | मनोहर गजानन जोशी |
जन्म | 2 दिसम्बर, 1937 |
जन्म भूमि | रायगढ़, महाराष्ट्र |
पति/पत्नी | अनाघा मनोहर जोशी |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | शिव सेना |
पद | लोकसभा अध्यक्ष, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री |
कार्य काल | अध्यक्ष- 10 मई 2002 – 2 जून 2004
मुख्यमंत्री- 14 मार्च 1995 – 31 जनवरी 1999 |
शिक्षा | स्नातक (विधि), स्नातकोत्तर (कला) |
विद्यालय | मुंबई विश्वविद्यालय |
भाषा | मराठी, हिन्दी, अंग्रेज़ी और संस्कृत भाषा |
अन्य जानकारी | मनोहर जोशी ने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 'कोहिनूर तकनीकी संस्थान' की स्थापना कराई। |
अद्यतन | 16:17, 21 सितम्बर 2012 (IST)
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मनोहर गजानन जोशी (अंग्रेज़ी: Manohar Gajanan Joshi जन्म: 2 दिसम्बर, 1937) एक भारतीय राजनेता और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष हैं। वे राजनीतिक दल शिव सेना के प्रमुख नेताओं में से एक हैं और मनोहर जोशी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (14 मार्च 1995 - 31 जनवरी 1999) भी रह चुके हैं।
जीवन परिचय
मनोहर जोशी का जन्म 2 दिसंबर, 1937 को महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में हुआ था। मनोहर जोशी ने मुंबई में ही शिक्षा पाई। मनोहर जोशी विधि में स्नातक हैं और कला में स्नातकोत्तर हैं तथा मराठी, हिन्दी, अंग्रेज़ी और संस्कृत भाषा में प्रवीण हैं। मनोहर जोशी का विवाह श्रीमती अनाघा मनोहर जोशी से हुआ है। उनके एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं।
राजनीतिक परिचय
मनोहर जोशी ने अपना पेशा एक अध्यापक के रूप में आरंभ किया और वर्ष 1967 में राजनीति के क्षेत्र में पदार्पण किया। शिव सेना के साथ उनका संबंध चार दशकों पुराना है। मुंबई शहर और इसके लोगों का कल्याण सदैव ही मनोहर जोशी की स्थाई चिंता का विषय रहा है। वे वर्ष 1968-70 के दौरान मुंबई के निगम पार्षद रहे और 1970 में स्थाई समिति (नगर निगम) के सभापति रहे। उन्होंने वर्ष 1976-77 के दौरान मुंबई के मेयर पद को सुशोभित किया। वे कुछ समय तक अखिल भारतीय मेयर परिषद् के चेयरमैन भी रहे। मुंबई शहर के साथ उनके घनिष्ठ संबंध और विभिन्न विकासात्मक मुद्दों पर उनकी पकड़ ने उनके राज्य विधानमंडल का सदस्य बनने के पश्चात् आगामी वर्षों में मुंबई के हित का प्रबल रूप से समर्थन करने में उनकी सहायता की।
विधायी और संसदीय जीवन
मनोहर जोशी का विधायी और संसदीय जीवन 1972 में प्रारंभ हुआ, जब वे महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए निर्वाचित हुए। विधान परिषद में तीन बार कार्यकाल पूरा करने के पश्चात्, वर्ष 1990 में श्री जोशी महाराष्ट्र विधान सभा के लिए निर्वाचित हुए। वे वर्ष 1995-99 के दौरान महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे। उनकी तीक्ष्ण राजनैतिक दूरदर्शिता, नेतृत्व के गुण और प्रशासनिक क्षमताओं ने उन्हें कुशलता के साथ राज्य का शासन चलाने में समर्थ बनाया। पूर्व में, वर्ष 1990-91 के दौरान वे राज्य विधान सभा में विपक्ष के नेता भी रहे। मनोहर जोशी अपने बेबाक और स्पष्टवादी विचारों के लिए प्रसिद्ध हैं और प्रबल रूप से विश्वास करते हैं कि एक संरचनात्मक, उत्तरदायी और स्वस्थ विपक्ष लोकतांत्रिक राज व्यवस्था को मजबूत बनाने में व्यापक रूप से योगदान करता है। वे यह भी विश्वास करते हैं कि लोकतंत्र केवल तभी समृद्ध हो सकता है, जब विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच सहर्ष सहयोग हो। इस दृढ़ धारणा को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने देश में एक राष्ट्रीय विपक्ष नेता संघ की शुरुआत की।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में मनोहर जोशी ने अपने कार्यकाल (14 मार्च 1995 – 31 जनवरी 1999) के दौरान उन्होंने महिलाओं के लिए कामधेनु नीति, बुजुर्गों के लिए मातोश्री वृद्धाश्रम योजना आरम्भ की तथा युवाओं के लिए सैनिक स्कूल खोले।
लोकसभा सांसद
वर्ष 1999 के आम चुनावों में मनोहर जोशी ने मुंबई उत्तर-मध्य लोकसभा संसदीय क्षेत्र से शिव सेना की टिकट पर चुनाव लड़ा और तेरहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। बाद में, उन्हें केन्द्र सरकार में शामिल किया गया और उन्होंने भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय का महत्वपूर्ण पदभार संभाला। केन्द्रीय मंत्री की बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभाने में महाराष्ट्र राज्य में विभिन्न पदों पर उनके कार्य का समृद्ध अनुभव उनके काम आया। केन्द्रीय मंत्री के रूप में अनेक महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णय लेकर उन्होंने भारी उद्योग और सार्वजनिक उपक्रम क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लोकसभा अध्यक्ष
एक हेलिकाप्टर दुर्घटना में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष, जी.एम.सी. बालायोगी की दुखद मृत्यु के पश्चात्, अध्यक्ष का पद कुछ समय तक रिक्त पड़ा रहा और उपाध्यक्ष श्री पी.एम. सईद ने अध्यक्ष के कर्त्तव्यों का निर्वाह किया। 10 मई, 2002 को प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लोकसभा के नए अध्यक्ष के रूप में श्री मनोहर जोशी के निर्वाचन की मांग करते हुए स्वयं एक प्रस्ताव पेश किया; तत्कालीन गृह मंत्री, लाल कृष्ण आडवाणी ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। जब यह प्रस्ताव विचार और मतदान के लिए सभा के समक्ष प्रस्तुत किया गया, तो सभा ने इसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया और श्री जोशी सर्वसम्मति से लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित हुए। मनोहर जोशी को अध्यक्ष के पद पर उनके निर्वाचन के लिए बधाई देते हुए, उपाध्यक्ष श्री पी.एम. सईद ने कहा कि हालांकि मनोहर जोशी संसद के लिए नए हैं, किंतु वे संसदीय संस्थाओं और संसदीय प्रक्रियाओं के लिए नए नहीं हैं। विभिन्न पदों पर बने रहते हुए महाराष्ट्र विधानमंडल में उनका लंबा कार्यकाल और समृद्ध अनुभव सभा को सुचारू रूप से चलाने में उनका मार्गनिर्देशन करेगा।
व्यक्तित्व
मनोहर जोशी का व्यक्तित्व बहुआयामी है, उन्होंने सदा राष्ट्रीय विकास के विभिन्न पक्षों पर ध्यान दिया तथा श्रम, कृषि, औद्योगिक विकास, व्यवसाय, व्यापार, आवास, पर्यावरण, रोज़गार, शिक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों तथा मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य किया। लंबे समय के एक सफल प्रतिष्ठित व्यवसायी के रूप में श्री जोशी कई प्रतिष्ठानों के अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक, स्वामी, भागीदार रहे। वह औद्योगिक तथा कृषि क्षेत्रों को समान महत्व देने में विश्वास रखते हैं और इसीलिए उन्होंने दोनों की प्रगति के लिए कड़ा परिश्रम किया। उन्होंने 'जागातिक मराठी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री' की स्थापना की। अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए "एडवान्टेज महाराष्ट्र काफ्रेंस" का आयोजन किया; किसानों के लिए "एग्रो एडवान्टेज महाराष्ट्र" नामक कार्यक्रम चलाया तथा कृषि के क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया। अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्होंने मुंबई में कई फ्लाई ओवरों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्होंने मुम्बई पुणे एक्सप्रेस वे परियोजना, कृष्णा घाटी सिंचाई परियोजना तथा "टैंकर-मुक्त महाराष्ट्र योजना" जैसी योजनाओं की संकल्पना की और उन्हें आरम्भ किया।
कोहिनूर तकनीकी संस्थान की स्थापना
एक शिक्षाविद् के रूप में मनोहर जोशी ने शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 'कोहिनूर तकनीकी संस्थान' की स्थापना के प्रेरणास्रोत वही थे, यह संस्थान युवाओं को तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है ताकि वे स्वःरोज़गार पा सकें। वह मुंबई विश्वविद्यालय सीनेट तथा कार्यकारी परिषद् के सदस्य भी रहे। जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने नैतिक शिक्षा तथा मूल्य आधारित शिक्षा के महत्व पर बल दिया। इस सराहनीय प्रयास के लिए वह अपने प्रशंसकों के बीच "सर" नाम से जाने जाते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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