घर में झाड फिरना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
अर्थ- घर में कुछ भी न रह जाना। प्रयोग- घर में झाड़ फिरी हुई थी, एक टूटी हाँडी भी न मिली। (प्रेमचंद)