ज़बान चलाने की रोटी खाना

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ज़बान चलाने की रोटी खाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- केवल लोगों की ख़ुशामद करके जीवका उपार्जित करना।

प्रयोग- उमेश ऐसा आदमी है जिसको जहाँ कुछ खाने-पीने को मिल जाए, वह उसी कि ख़ुशामद करने लगता है और इसी से वह अपना जीवन चला रहा है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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