अपराजिता सप्तमी

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • भाद्रपद शुक्लपक्ष सप्तमी के दिन एक वर्ष तक यह व्रत किया जाता है।
  • अपराजिता सप्तमी में सूर्य देवता की पूजा होती है।[1]
  • भाद्रपद शुक्लपक्ष सप्तमी को अपराजिता भी कहा जाता है।
  • चतुर्थी को एकभक्त से आरम्भ पंचमी को नक्त, षष्ठी को उपवास एवं सप्तमी को पारण।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 132-135), हेमाद्रि व्रतखण्ड (1, 667-68, भविष्य पुराण, ब्रह्म पुराण 98|1-19), पुरुषार्थचिन्तामणि (104)

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