आश्रम व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर प्रारम्भ करना चाहिए।
- इस व्रत को वर्ष भर के लिए करना चाहिए, वर्ष को तीन भागों में विभाजित करके वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न एवं अनिरुद्ध की (एक के उपरान्त एक की) पूजा करनी चाहिए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णुधर्मोत्तरपुराण (3|142|1-7), हेमाद्रि (व्रत 1, 505)।
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