सौभाग्यावाप्ति व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- सौभाग्यावाप्तिव्रत मासव्रत है।
- सौभाग्यावाप्तिव्रत के देवता कृष्ण हैं।
- सौभाग्यावाप्तिव्रत माघ पूर्णिमा (पूर्णिमान्त गणना के अनुसार) के उपरान्त प्रथम तिथि पर किया जाता हैं।
- कृष्ण प्रतिमा या वस्त्र पर खचिंत कृष्ण चित्र की पूजा करनी चाहिए।
- प्रियंगु से सुगन्धित किये गये जल से कर्ता द्वारा स्नान करना चाहिए।
- प्रियंगुयुक्त चरु (भात) का अर्पण एवं उसी से होम करना चाहिए।
- सौभाग्यावाप्तिव्रत एक मास तक करना चाहिए।
- फाल्गुन पूर्णिमा पर तीन दिनों के उपवास के उपरान्त कुंकुम से रंगे दो वस्त्रों, मधुपूर्ण पात्र आदि का दान देना चाहिए।
- इससे सौभाग्य एवं सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 799, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|204|1-5 से उद्धरण)
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