नरेशचंद्र सिंह
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नरेशचंद्र सिंह (अंग्रेज़ी: Nareshchandra Singh', जन्म- 21 नवम्बर, 1908; मृत्यु- 11 सितम्बर, 1987) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनीतिज्ञ तथा मध्य प्रदेश के भूतपूर्व छठे मुख्यमंत्री थे। वह 13 मार्च 1969 से 25 मार्च 1969 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
- मुख्यमंत्री रहे नरेशचंद्र सिंह का कार्यकाल मात्र 13 दिन का था। जोड़-तोड़ से बनी संविद सरकार के मुख्यमंत्री गोविन्द नारायण सिंह के त्यागपत्र के बाद राजा नरेशचंद्र सिंह मुख्यमंत्री बने।[1]
- गोविंद नारायण सिंह अपने साथ कई विधायकों को तोड़कर कांग्रेस में ले गए। इस कारण प्रदेश के पहले आदिवासी नेता की सरकार गिर गई। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी से मदभेद के चलते सभी पदों से इस्तीफा देकर राजनीति से संन्यास ले लिया।
- संविद सरकार के पतन के बाद गोंड आदिवासी राजा नरेशचंद्र सिंह 13 मार्च से 25 मार्च, 1969 तक मुख्यमंत्री रहे।
- छत्तीसगढ़ के बाईसगढ़ के राजा नरेशचंद्र सिंह मध्य भारत में सारंगढ़ राज्य के शासक थे। उन्होंने 1 जनवरी 1948 को भारत में अपने राज्य का विलय किया था। इसके बाद राजा नरेशचन्द्र कांग्रेस के प्रमुख नेता हो गए।
- सन 1952 में उन्होंने पहला चुनाव जीता। मध्य प्रदेश की पहली विधानसभा में रविशंकर शुक्ल के मंत्रीमंडल में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। सरकार और आदिवासियों के बीच उन्होंने एक सेतु के रूप में काम किया।
- राजा नरेशचंद्र दूसरी, तीसरी, चौथी विधानसभा के सदस्य रहे। मध्य प्रदेश में कई विभागों के मंत्री रहे। इसके बाद विरासत पत्नी और बेटियों को सौंप दी।
- सन 1967 के लोकसभा चुनाव में राजकुमारी रजनीगंधा देवी चुनाव जीतीं। कमला देवी विधानसभा की सदस्य बनीं। पुष्पा देवी सिंह तीन बार लोकसभा चुनाव जीतीं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ तेरह दिन के लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे राजा नरेशचंद्र सिंह (हिंदी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 3 अक्टूबर, 2020।
बाहरी कड़ियाँ
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क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |