अगस्त्यार्ध्यदान

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • अगस्त्य नक्षत्र को अर्घ्य देना। (अध्याय 61, जहाँ मगस्त्योत्पत्ति के विषय में उल्लेख है)[1]
  • विभिन्न देशों में विभिन्न कालों में अगत्स्य का उदय एवं अस्त होता है। [2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मत्स्य पुराण, गरुड़ पुराण (1|119|1–6), जीभूतवाहन का कालविवेक (290—292)।
  2. अग्नि पुराण (206|1–2), राजमार्तण्ड (भोजकृत, 1206–1228), कृत्यकलपतरु का नैयतकालिक काण्ड (448–451), हेमाद्रि व्रतखण्ड (2|893–904), कृत्यरत्नाकर (294–299), वर्षक्रियाकौमुदी (340–341), राजमार्तण्ड (1219–20), मत्स्य पुराण 61|50, गरुड़ पुराण 1|119|5 समयप्रदीप (सोमदत्तकृत)।

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