आला सिंह
आला सिंह (अंग्रेज़ी: Ala Singh , जन्म- 1691; मृत्यु- 1765) पंजाब के बठिंडा जिले के रामपुरा फूल गांव के एक जाट सिक्ख सरदार थे। वह पटियाला रियासत के संस्थापक थे। महाराजा अमर सिंह उनके उत्तराधिकारी थे।
जन्म
पटियाला रियासत की स्थापना 18 शताब्दी में हुई थी। रियासत के संस्थापक राजा आला सिंह जी थे। इस राजवंश के मूल पुरुष की उत्पत्ति जैसलमेर राजवंश से हुई थी। उन्होंने दिल्ली के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के समय में जैसलमेर छोड़कर हिसार, सिरसा और भटनेर के आसपास के प्रदेश में पर्दापण किया।
कुछ शताब्दियां बीत जाने पर उनके खेवा नामक एक वंशज ने नाईली के जाट ज़मींदार की पुत्री से विवाह कर लिया। इस जोड़े से सिंधू नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई। सिंधु की संतान इतनी बढ़ी कि जिससे सिंधु जाट नाम की एक जाति खड़ी हो गई। धीरे-धीरे यह जाति इतनी समृद्धिशाली हो गई कि सतलुज और जमुना के बीच के प्रदेश की जातियों में वह प्रमुख गिनी जाने लगी। इस जाति में फूल नामक एक व्यक्ति हुआ और फूल के वंश में राजा आला सिंह उत्पन्न हुए।[1]
पटियाला राज्य की स्थापना
राजा आला सिंह बड़े प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। अपनी प्रतिभा ही के बल पर आपने इतने बड़े पटियाला राज्य की स्थापना की थी। कोट और जगराँव के मुसलमान सरदारों, मालेर कोटला के अफगानों और जलंधर दुआब के शाही फौजदार की संयुक्त शक्ति पर उन्होंने एक समय बड़ी विजय प्राप्त की थी। इस विजय के कारण राजा आला सिंह जी की कीर्ति दूर दूर तक फेल गई थी।
क़िले का निर्माण
सन 1749 में राजा आला सिंह ने धोदन भवानीगढ़ का क़िला बनवाया। इसके कुछ ही समय बाद इस राज्य की वर्तमान राजधानी पटियाला बसाई गई। राजा आला सिंह ने भटिंडा नरेश पर चढ़ाई करके उनके कई गाँव अधिकृत कर लिये।
अब्दाली से मित्रता
सन 1757 में आपने भट्टी लोगों पर विजय प्राप्त की। इसी बीच अहमदशाह अब्दाली ने पंजाब के रास्ते से दिल्ली तक आकर सुप्रसिद्ध पानीपत के युद्ध में मराठों को पराजित किया। इस समय राजा आला सिंह ने अब्दाली से मित्रता कर ली। अब्दाली ने खुश होकर उनको उस प्रान्त का एकछत्र राजा स्वीकार किया। इतना ही नहीं, उसने आला सिंह को 'सिरोपाव' एवं 'राजा' की पदवी भी प्रदान की।
मृत्यु
[[सिक्ख] अहमदशाह अब्दाली को अपना दुश्मन मानते थे, अत: उन्होंने शाह के साथ बारनाला स्थान पर युद्ध किया। इस युद्ध में 20000 सिक्ख वीरगति को प्राप्त हुए, पर राजा आला सिंह अब्दाली के हाथों अपने मनुष्यों का काटा जाना बुद्धिमानी नहीं समझते थे। वे उन्हें विदेशी आक्रमणों से बचाये रखना चाहते थे। इसका यह परिणाम हुआ कि सन 1764 में अहमदशाह ने उनको सरहिंद प्रान्त दे दिया। इस घटना के कुछ ही समय बाद राजा आला सिंह का सन 1765 में स्वर्गंवास हो गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 राजा आला सिंह का जीवन परिचय और इतिहास (हिंदी) alvitrips.com। अभिगमन तिथि: 28 मार्च, 2024।
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