श्रेणी:भक्ति साहित्य
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- अवगुन सिंधु मंदमति कामी
- अवध उजारि कीन्हि कैकेईं
- अवध तहाँ जहँ राम निवासू
- अवध नृपति दसरथ के जाए
- अवध प्रबेसु कीन्ह अँधिआरें
- अवध प्रभाव जान तब प्रानी
- अवधनाथु चाहत चलन
- अवधपुरी अति रुचिर बनाई
- अवधपुरी प्रभु आवत जानी
- अवधपुरी बासिन्ह कर
- अवधपुरी सोहइ एहि भाँती
- अवधपुरीं रघुकुलमनि राऊ
- अवनिप अकनि रामु पगु धारे
- अवलोकनि बोलनि मिलनि
- अवलोकि खरतर तीर
- अवसरु जानि सप्तरिषि आए
- अवसि अत्रि आयसु सिर धरहू
- अवसि काज मैं करिहउँ तोरा
- अवसि चलिअ बन रामु
- अवसि दूतु मैं पठइब प्राता
- अवसि नरेस बचन फुर करहू
- अवसि फिरहिं गुर आयसु मानी
- अस अभिमान जाइ जनि भोरे
- अस अभिलाषु नगर सब काहू
- अस कपि एक न सेना माहीं
- अस कहि अति सकुचे रघुराऊ
- अस कहि करत दंडवत देखा
- अस कहि कुटिल भई उठि ठाढ़ी
- अस कहि गई अपछरा जबहीं
- अस कहि गरुड़ गीध जब गयऊ
- अस कहि गहे नरेस
- अस कहि चला बिभीषनु जबहीं
- अस कहि चला महा अभिमानी
- अस कहि चला रचिसि मग माया
- अस कहि चले देवरिषि
- अस कहि चलेउ बालिसुत
- अस कहि चलेउ सबहि सिरु नाई
- अस कहि छाड़ेसि बान प्रचंडा
- अस कहि जोग अगिनि तनु जारा
- अस कहि दोउ भागे भयँ भारी
- अस कहि नयन नीर भरि
- अस कहि नारद सुमिरि
- अस कहि पग परि प्रेम
- अस कहि परी चरन धरि सीसा
- अस कहि परेउ चरन अकुलाई
- अस कहि प्रेम बिबस भए भारी
- अस कहि फिरि चितए तेहि ओरा
- अस कहि बहुत भाँति समुझाई
- अस कहि बिहसि ताहि उर लाई
- अस कहि भले भूप अनुरागे
- अस कहि मरुत बेग रथ साजा
- अस कहि मातु भरतु हिएँ लाए
- अस कहि मुनि बसिष्ट गृह आए
- अस कहि रघुपति चाप चढ़ावा
- अस कहि रथ रघुनाथ चलावा
- अस कहि रही चरन गहि रानी
- अस कहि राम गवनु तब कीन्हा
- अस कहि लखन ठाउँ देखरावा
- अस कहि लछिमन कहुँ कपि ल्यायो
- अस कहि सब महिदेव सिधाए
- अस कहि सीय बिकल भइ भारी
- अस कौतुक करि राम
- अस कौतुक बिलोकि द्वौ भाई
- अस जियँ जानि कहिअ सोइ ठाऊँ
- अस जियँ जानि दसानन संगा
- अस जियँ जानि सुजान सिरोमनि
- अस जियँ जानि सुनहु सिख भाई
- अस तपु काहुँ न कीन्ह भवानी
- अस तव रूप बखानउँ जानउँ
- अस निज हृदयँ बिचारि
- अस पन तुम्ह बिनु करइ को आना
- अस प्रभु छाड़ि भजहिं जे आना
- अस प्रभु दीनबंधु हरि
- अस प्रभु हृदयँ अछत अबिकारी
- अस बरु मागि चरन गहि रहेऊ
- अस बिचारि उर छाड़हु कोहू
- अस बिचारि केहि देइअ दोसू
- अस बिचारि खल बधउँ न तोही
- अस बिचारि गुहँ ग्याति सन
- अस बिचारि जोइ कर सतसंगा
- अस बिचारि नहिं कीजिअ रोसू
- अस बिचारि प्रगटउँ निज मोहू
- अस बिचारि मतिधीर
- अस बिचारि संकरु मतिधीरा
- अस बिचारि सुनु प्रानपति
- अस बिचारि सोइ करहु उपाई
- अस बिचारि सोइ करहु जो भावा
- अस बिचारि हरि भगत सयाने
- अस बिबेक जब देइ बिधाता
- अस बिबेक राखेहु मन माहीं
- अस मन गुनइ राउ नहिं बोला
- अस मानस मानस चख चाही
- अस मैं अधम सखा
- अस मैं सुना श्रवन दसकंधर
- अस मोहि सब बिधि भूरि भरोसो
- अस सज्जन मम उर बस कैसें
- अस समुझत मन संसय होई
- असगुन अमित होहिं तेहि काला
- असगुन अमित होहिं भयकारी
- असन पान सुचि अमिअ अमी से
- असन सयन बर बसन सुहाए
- असरन सरन बिरदु संभारी
- असि रघुपति लीला उरगारी
- असि रव पूरि रही नव खंडा
- असुभ बेष भूषन धरें
- असुभ होन लागे तब नाना
- असुर नाग खग नर मुनि देवा
- असुर मारि थापहिं सुरन्ह
- असुर समूह सतावहिं मोही
- असुर सुरा बिष संकरहि
- असुर सेन सम नरक निकंदिनि
- अस्तुति करत देवतन्हि देखें
- अस्तुति करि न जाइ भय माना
- अस्तुति करि सुर सिद्ध सिधाए
- अहंकार अति दुखद डमरुआ
- अहंकार सिव बुद्धि अज
- अहनिसि बिधिहि मनावत रहहीं
- अहह दैव मैं कत जग जायउँ
- अहह धन्य लछिमन बड़भागी
- अहह नाथ रघुनाथ सम
- अहिप महिप जहँ लगि प्रभुताई
- अहोभाग्य मम अमित अति
आ
- आइ गए बगमेल धरहु
- आइ बना भल सकल समाजू
- आइ बिभीषन पुनि सिरु नायो
- आइ सबन्हि नावा पद सीसा
- आए कीस काल के प्रेरे
- आए ब्याहि रामु घर जब तें
- आए भरत संग सब लोगा
- आकर चारि लाख चौरासी
- आखर अरथ अलंकृति नाना
- आखर मधुर मनोहर दोऊ
- आख़िरी कलाम
- आगम निगम पुरान अनेका
- आगम निगम प्रसिद्ध पुराना
- आगिल काजु बिचारि बहोरी
- आगें कह मृदु बचन बनाई
- आगें चले बहुरि रघुराया
- आगें दीखि जरत सिर भारी
- आगें मुनिबर बाहन आछें
- आगें रामु लखनु बने पाछें
- आचारु करि गुर गौरि
- आजु दया दुखु दुसह सहावा
- आजु धन्य मैं धन्य अति
- आजु धन्य मैं सुनहु मुनीसा
- आजु बयरु सबु लेउँ निबाही
- आजु राम सेवक जसु लेऊँ
- आजु सफल तपु तीरथ त्यागू
- आजु सबहि कहँ भच्छन करऊँ
- आजु सुफल जग जनमु हमारा
- आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा
- आतुर बहोरि बिभंजि स्यंदन
- आतुर सभय गहेसि पद जाई
- आदिसृष्टि उपजी जबहिं
- आन उपाउ न देखिअ देवा
- आन उपाउ मोहि नहिं सूझा
- आनहु रामहि बेगि बोलाई
- आनि काठ रचु चिता बनाई
- आनि देखाई नारदहि
- आपन मोर नीक जौं चहहू
- आपनि दारुन दीनता
- आपु आश्रमहि धारिअ पाऊ
- आपु गए अरु तिन्हहू घालहिं
- आपु छोटि महिमा बड़ि जानी
- आपु बिरचि उपरोहित रूपा
- आपु सुरसरिहि कीन्ह प्रनामू
- आपुहि सुनि खद्योत सम
- आयसु करहिं सकल भयभीता
- आयसु देहि मुदित मन माता
- आयसु पाइ दूत बहु धाए
- आयसु पाइ राखि उर रामहि
- आयसु पालि जनम फलु पाई
- आयसु मागि राम पहिं
- आयसु होइ त रहौं सनेमा
- आयुध सर्ब समर्पि कै प्रभु
- आरत कहहिं बिचारि न काऊ
- आरत जननी जानि
- आरत लोग राम सबु जाना
- आरति करहिं मुदित पुर नारी
- आरति बस सनमुख भइउँ
- आरति बिनय दीनता मोरी
- आवत जनकु चले एहि भाँती
- आवत जानि बरात बर
- आवत जानि भानुकुल केतू
- आवत देखि अधिक रव बाजी
- आवत देखि गयउ नभ सोई
- आवत देखि लोग सब
- आवत देखि सक्ति अति घोरा
- आवत निकट हँसहिं
- आवत मुकुट देखि कपि भागे
- आवा परम क्रोध कर मारा
- आवै पिता बोलावन जबहीं
- आश्रम एक दीख मग माहीं
- आश्रम सागर सांत
- आस त्रास इरिषाद निवारक
- आसन उचित सबहि नृप दीन्हे
- आसन सयन बिभूषन हीना
- आसन सयन सुबसन बिताना
- आसिष दीन्हि सखीं हरषानीं