ऊनकेश्वर

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ऊनकेश्वर महाराष्ट्र राज्य के यवतमाल ज़िला के पास आदिलाबाद के निकट अतिप्राचीन स्थान है। इसे ओनकदेव भी कहते हैं। जनश्रुति है कि इस स्थान पर रामायण काल में शरभंग ऋषि का आश्रम था। भगवान राम वनवासकाल में इस स्थान पर कुछ समय के लिए आए थे। रामायण[1] में शरभंगाश्रम का यह उल्लेख है-

'अभिगच्छामहे शीघ्रं शरभंगं तपोधनम्,
आश्रमं शरभंगस्य राघबोऽभिजगाम है।

कालिदास ने शरभंगाश्रम का सुन्दर वर्णन राम-सीता की लंका से अयोध्या तक की विमान यात्रा के प्रसंग में इस प्रकार किया है-

'अद: शरण्यं: शरभंग नाम्नस्तपोवनं पावनमाहिताग्ने:,
चिराय संतर्प्य समिद्भरग्निं यो मंत्रपूतां तनुमप्यहौषीत्:'।[2][3]

ऊनकेश्वर मं गरम पानी का एक कुंड है जिसे, कहा जाता है कि, श्रीराम ने बाण से पृथ्वी भेद कर शरभंग के लिए प्रकट किया था।



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. वाल्मीकि रामायण, अरण्य कांड, सर्ग 5, 3
  2. रघुवंश 13, 45
  3. देखें शरभंगाश्रम

बाहरी कड़ियाँ

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