शरभंग ऋषि

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रामायणनुसार एक ऋषि जो दक्षिण भारत में रहते थे। वनवास के समय श्रीराम दर्शनार्थ इनके आश्रम पर गये। यह समाचार पा इन्होंने इन्द्र के साथ ब्रह्मलोक न जा राम दर्शन को ही उत्तर्म समझा और श्रीराम के सामने ही योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर दिव्य धाम को गये थे।[1]



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रामचरित-मानस, अरण्य कांड, सर्ग 6.4-8.2

बाहरी कड़ियाँ

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