वाराणसी के शिक्षण संस्थान

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काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

वाराणसी पूर्व से ही विद्या और शिक्षा के क्षेञ में एक अहम प्रचारक और केन्द्रीय संस्था के रूप में स्थापित था। मध्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश में उदार परम्परा का संचालन था। वाराणसी 'हिन्दू शिक्षा केन्द्र' के रूप में विश्वव्यापक हुआ। वाराणसी के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय 'इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ़ सैकेंडरी एजुकेशन' [1], 'केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड' [2] या 'उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद' [3] से सहबद्ध हैं। प्राचीन काल से ही लोग यहाँ दर्शन शास्त्र, संस्कृत, खगोल शास्त्र, सामाजिक ज्ञान एवं धार्मिक शिक्षा आदि के ज्ञान के लिये आते रहे हैं। भारतीय परंपरा में प्रायः वाराणसी को सर्वविद्या की राजधानी कहा गया है। वाराणसी में एक जामिया सलाफ़िया भी है, जो सलाफ़ी इस्लामी शिक्षा का केन्द्र है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय या बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में स्थित एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना [4] के अंतर्गत हुई थी। पण्डित मदनमोहन मालवीय ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रारम्भ 1904 ई. में किया, जब काशी नरेश 'महाराज प्रभुनारायण सिंह' की अध्यक्षता में संस्थापकों की प्रथम बैठक हुई। 1905 ई. में विश्वविद्यालय का प्रथम पाठ्यक्रम प्रकाशित हुआ।

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना 1791 ई. में भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड कॉर्नवालिस ने की थी। वाराणसी का यह प्रथम महाविद्यालय था। जे म्योर, आई.सी.एस इस महाविद्यालय के प्रथम प्रधानाचार्य, संस्कृत प्राध्यापक थे।

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ

महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ

वाराणसी का यह एक मानित राजपत्रित विश्वविद्यालय है। इस विद्यापीठ का नाम भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नाम पर है। इस विद्यापीठ में गाँधी जी के सिद्धांतों का पालन किया जाता है।

केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान

यह इंस्टीट्यूट सारनाथ में स्थित है। यहाँ पर परंपरागत तिब्बती पठन-पाठन को आधुनिक शिक्षा के साथ वरीयता दी जाती है। 'उदय प्रताप महाविद्यालय' एक स्वायत्त महाविद्यालय है जहाँ आधुनिक बनारस के उपनगरीय छात्रों हेतु क्रीड़ा एवं विज्ञान का केन्द्र है। वाराणसी में बहुत से निजी एवं सार्वजनिक संस्थान है, जहाँ हिन्दू धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था है। इन विश्वविद्यालयों के अलावा शहर में कई स्नातकोत्तर एवं स्नातक महाविद्यालय भी हैं, जैसे - अग्रसेन डिग्री कॉलेज, हरिशचंद्र डिग्री कॉलेज, आर्य महिला डिग्री कॉलेज एवं स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (आई.सी.एस.ई)
  2. सी.बी.एस.ई
  3. यू.पी.बोर्ड
  4. (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक 16, सन 1915)

बाहरी कड़ियाँ

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