तैत्तिरीयोपनिषद भृगुवल्ली अनुवाक-5

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  • भृगु ऋषि फिर तप करने लगे।
  • तप के बाद उन्होंने जाना कि 'विज्ञान' ही 'ब्रह्म' है।
  • वरुण ऋषि ने उसकी सोच का समर्थन तो किया, पर उसे और तप करने के लिए कहा।
  • तप ही 'ब्रह्म' है।
  • उसी से तत्त्व को जाना जा सकता है।


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