खुद उन्हें भी
डरा देती है उनकी यह हंसी
वे हंसते हैं अक्सर
पूरा जोर लगाकर
हंसने की इस सायास विवशता में
दिखने लगते हैं
हद दज्रे तक दयनीय।
कई बार तो उनकी सामूहिक हंसी
लगती है बिल्कुल
फिल्मों के खलनायक सी
या पौराणिक फिल्मों के राक्षसों जैसी
अपनी ही किसी कमी का उपहास उड़ाती
अपने ही भीतर किसी शून्य को कोसती
अपने को ही लताड़ती यह हंसी
वीभत्स लगती है कई बार
उन्होंने खूब सोच समझकर
बनाया है यह लॉफ्टर क्लब
वे सारे लोग
जो सेवा निवृत्ति या किसी अन्य कारण से
गैर जरूरी हो गए
दफ्तर में या घर में
स्थायी सदस्य बन गए इस क्लब के।
डनके लिए बहुत जरूरी है
इस तरह झूठ-मूठ हंसना
जानते हुए भी कि
लॉफ्टर के एक छोटे से सत्र के बाद
शूरू होता है उदासी का
एक लम्बा अंतराल
बहुत जल्दी टूट जाता है
हंसी का यह पाखंड
जब वे अकेले-2 लौटते हैं
वापस घरों की ओर।
या स्कूल जाते खिलखिलाते बच्चे
कर देते हैं इस हंसी का भंडाफोड़।
जिनके जीवन में
लगभग न के बराबर हैं
हंसने के मौके और कारण
जो नकली दांतों के सैट लेकर
फिर से सीखना चाहते हैं हंसना
हमारे देश के वे वरिष्ठ नागरिक
नियमित रूप से पहुंचते हैं लॉफ्टर क्लब
एक दो तीन की आवाज़ पर
लगाते है ठहाके
उन्हें इस तरह हंसते देख
डर जाते हैं बच्चे
रोने लगती है खुशी।