निष्ठुर -अनूप सेठी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रकाश बादल (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:30, 7 जनवरी 2012 का अवतरण ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Jagat_men_mela....' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
निष्ठुर -अनूप सेठी
जगत में मेला' का आवरण चित्र
जगत में मेला' का आवरण चित्र
कवि अनूप सेठी
मूल शीर्षक जगत में मेला
प्रकाशक आधार प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड,एस. सी. एफ. 267, सेक्‍टर 16,पंचकूला - 134113 (हरियाणा)
प्रकाशन तिथि 2002
देश भारत
पृष्ठ: 131
भाषा हिन्दी
विषय कविता
प्रकार काव्य संग्रह
अनूप सेठी की रचनाएँ

तुमने सोचा होगा
पहाड़ का सीना है पिघल जाएगा
कानों के पास सरसराती हवा
खिलेंगी बराह की लाल लाल बिंदियाँ
देवदारों की गहरी हरी चुन्नियाँ
तपती कनपटियाँ नम होंगी
पकड़ के हाथ तुमने सोचा होगा
ढलान के साथ बस आज ही तो उतरेगा पहाड़

पहाड़ के कँधे पर इँद्र का मँदिर है
पुराण का इतिहास है
कड़ी छाती में आह! बफानी झीलें हैं
सूरज अकेले में आकर गुनगुनाता है
चाँद के लिए वो आइना हैं
तुमने सोचा होगा
खुद से लेकिन एक दिन तो बोलेगा पहाड़

पहाड़ का पानी ही रक्त
फलाँगता तैरता पँहुचता नहीं कहाँ तक
मछलियों को चमक देता
सीपियों को स्वप्न देता
बैठकर बालू तट पर तुमने सोचा होगा
विस्तार से विशाल मन
आखिर कभी तो खोलेगा पहाड़
(1987)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख