पानकरस-रागासव-योजन कला

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रेणु (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:00, 25 मई 2010 का अवतरण ('जयमंगल के मतानुसार...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

जयमंगल के मतानुसार चौंसठ कलाओं में से यह एक कला है। विविध प्रकार के शर्बत, आसव आदि बनाना, जो कि पेयजल के रूप में प्रयुक्त होते है।